
मुख्यमंत्री बनने के बाद राज्य में हुए उपचुनावों में भाजपा का खराब प्रदर्शन तथा अपने गढ़ गोरखपुर लोकसभा सीट को उपचुनाव में खो देने वाले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को इस चुनाव में अपने दुर्ग गोरखपुर को बचाने की कड़ी चुनौती मिल रही है। भाजपा जनता पार्टी शीर्ष नेतृत्व में मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ को पूरी शक्ति इस चुनाव में प्रदान की है ताकि प्रतिकूल परिणाम आने पर कोई बहाना न बने।
गोरखपुर में 19 मई को मतदान होना है और यह मतदान यह तय करेगा कि मुख्यमंत्री बनने के बाद योगी आदित्यनाथ पर उनके क्षेत्र की जनता का भरोसा बढ़ा है या घटा है।
एक साल पहले मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की छोड़ी सीट पर उपचुनाव में भाजपा को झटका देकर सूबे की सियासत में नये समीकरण गढ़ने वाली गोरखपुर लोकसभा सीट पर मतदाताओं का मिजाज बदला-बदला नजर आ रहा है। सहजनवां, कैंपियरगंज और पिपराइच विधानसभा क्षेत्र में भाजपा भारी नजर आ रही है। इन क्षेत्रों में निषाद और दलित वोटों में बड़ा बिखराव है, कई जगह यादव भी बंट रहे हैं।
गोरखपुर ग्रामीण और शहर विधानसभा में गठबंधन व भाजपा में तगड़ी जोर आजमाइश है उपचुनाव में भाजपा इस संसदीय सीट से जुड़ी पांच में से तीन विधानसभा सीटें कैंपियरगंज, गोरखपुर ग्रामीण और सहजनवां हार गयी थी।
शहर में भी आम चुनाव की अपेक्षा लीड घटकर 24,577 वोटों की रह गयी थी। भाजपा और गठबंधन की लड़ाई को त्रिकोणीय बनाने के लिए कांग्रेस संघर्ष करती नजर आ रही है, यहां के मतदाता मुखर हैं और अपने वोट की कसौटी खुलकर साझा कर रहे हैं, उन्होंने भाजपा को उपचुनाव में क्यों हराया, यह भी बता रहे हैं।
सीएम योगी गोरखुपर उपचुनाव की हार का बदला लेने के लिए मौजूदा सांसद प्रवीण निषाद को पार्टी में शामिल कराने से लेकर निषाद पार्टी का समर्थन लेने जैसे सभी संभव रणनीतिक दांव चल चुके हैं, इसके बावजूद वे किसी तरह का खतरा नहीं उठाना चाहते, इसलिए गोरखुपर में डेरा डाल दिया है। पूरी रणनीति खुद तैयार करायी है, सभी विधानसभा क्षेत्रों में बूथ सम्मेलन कर चुके हैं। भाजपा के राष्ट्रीय अध्यक्ष अमित शाह का रोड शो 16 मई की शाम को होना है।