राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के सरसंघचालक मोहन भागवत ने पश्चिम बंगाल की मुख्यमंत्री ममता बनर्जी को नसीहत देते हुए कहा है कि राज्य में जारी राजनीतिक हिंसा को तुरंत बंद किया जाए। उन्होंने कहा कि राज्य सरकार गुंडा तत्वों पर एक्शन ले।भागवत ने कहा कि अगर कोई शासक गुंडा तत्वों पर काबू पाने में फेल रहता है तो ऐसा व्यक्ति शासक कहलाने लायक नहीं है।
मोहन भागवत रविवार को नागपुर में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के तृतीय वर्ष के प्रशिक्षण शिविर के समापन समारोह को संबोधित कर रहे थे। आरएसएस के लगभग 800 कार्यकर्ताओं को संबोधित करते हुए मोहन भागवत ने कहा, “आज क्या चल रहा है बंगाल में, चुनाव के बाद ऐसा होता है, किसी और प्रांत में ऐसा हो रहा है? नहीं होना चाहिए…अगर गुंडा प्रवृति के व्यक्तियों की वजह से ऐसा होता है तो शासन को कदम उठाना चाहिए।”
संघ प्रमुख ने कहा कि कुछ लोग कानून तोड़ते हैं लेकिन राज्य का कर्तव्य है कि वो दंडशक्ति से कानून का राज स्थापित करे। जो शासक ऐसा नहीं करता उसे शासक नहीं कहा जा सकता. उन्होंने कहा कि पिछले पांच सालों में देश को तोड़ने की कई कोशिशें हुई, लेकिन इस चुनाव में भारत की जनता ने ऐसे तत्वों को नकार दिया।
ममता बनर्जी का नाम लिए बिना उन्होंने कहा कि बाहर के लोग आए हैं, ऐसी भाषा का इस्तेमाल कि बंगाल में रहना है या नहीं क्या एक राजनेता की भाषा है? उन्होंने कहा कि ऐसा व्यवहार होना नहीं चाहिए, लेकिन होता है। भागवत ने कहा कि ऐसा नहीं है कि उन्हें पता नहीं है कि ऐसा व्यवहार नहीं किया जाना चाहिए, वे तपस्वी हैं, अनुभवी हैं न्याय के लिए संघर्ष का भी अनुभव उनके पास है। लेकिन कुर्सी के मोह और कुर्सी प्राप्त न होने की संभावना में इतना दूर नहीं जाना चाहिए. उन्होंने कहा था कि संविधान सभा की बैठक में इन्हीं मुद्दों को लेकर अंबेडकर ने हमें संविधान दिया था।
मोहन भागवत ने कहा कि हिन्दू समाज आगे बढ़ रहा है. इसका मतलब है कि जो चिकनी चुपड़ी बातें करते है ऐसे लोगों की दुकान बंद होने वाली है. दुनिया में स्वार्थ की दुकानें बंद होने वाली है।उन्होंने कहा कि अगर हम अपने संकुचित स्वार्थ के लिए अपने देश को बंटने देंगे तो हमारे सुखद सपने को ग्रहण लगने की संभावना है. उन्होंने कहा कि अगर हम अपने छोटे संकुचित स्वार्थ के लिए अपने फूट को जारी रखें तो आजादी के 70 सालों के बाद हमारे पुरुषार्थ का जो नया प्रकरण शुरू हुआ है, उसका फल आने से पहले ही ग्रहण लगने का डर है. लोकसभा चुनाव के बाद पश्चिम बंगाल में राजनीतिक हिंसा का दौर शुरू हो गया है. इस हिंसा बीजेपी और टीएमसी के कई कार्यकर्ताओं की हत्या हुई है।