पहले दिल्ली, उसके बाद मेरठ, आगरा फिर जयपुर में मुस्लिमों के प्रदर्शन, उपद्रव की घटनाओं ने एक बात साफ कर दी है कि एक वर्ग को उकसाकर देश में माहौल खराब करने की कोई बड़ी साजिश चल रही है। इसका सम्बन्ध आगरा के उपद्रव की घटना की प्रारंभिक जांच में भी इसी तरह के तथ्य मिल रहे हैं।
सोमवार को मुस्लिम संगठनों के जुलूस के बाद हुयी हिंसा, उपद्रव की घटना में जो तथ्य सामने आये हैं उसमें आगरा शहर को सांप्रदायिक हिंसा भड़काने की बड़ी साजिश सामने आ रही है। जुलूस में शामिल बाहरी लोग की मौजूदगी ने इस बात के पुख्ता सबूत दिये हैं, फिलहाल आगरा में शांती है। नये वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक बबलू कुमार ने आते ही अपना काम शुरू कर दिया है। उन्होंने सबसे पहले प्रभावित क्षेत्र में पहुंचकर स्थित समझी है और 14 उपद्रवियों को जेल भेज दिया है और घटना के कारणों और लापरवाही उन्होंने पड़ताल शुरू कर दी है।
विदित रहे कि उपद्रव और हिंसा की घटना के बाद आगरा में 19 दिन पहले ही नियुक्त किये गये वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक जोगेंद्र सिंह को राज्य सरकार ने हटा दिया था और उनके स्थान पर तत्काल बबलू कुमार को एसएसपी बनाकर आगरा भेजा है। इसके साथ ही आगरा के डीआईजी लव कुमार को भी हटा दिया गया है।
पूरे आगरा जिले में मिश्रित आबादी वाले क्षेत्रों में पुलिस की तैनाती कर दी गयी है, गश्त बढ़ा दी गयी है। प्रभावित क्षेत्र में कड़ी सुरक्षा के बीच बाजार खुले हुए हैं, स्थिति सामान्य हो गयी है। पुलिस की टीमें जुलूस निकालने वाले उपद्रवियों की पहचान कर धर-पकड़ अभियान में लगी हुयी है। दो हजार अज्ञात आरोपियों, 57 नामजद लोगों के विरूद्ध पुलिस ने संगीन धाराओं में मामले दर्ज किये हैं। 14 उपद्रवियों को जेल भेजा जा रहा था, उस समय इन उपद्रवियों के चेहरों पर कोई पछतावा नजर नहीं आ रहा था। प्रारंभिक जांच में जो तथ्य सामने आये हैं, उसमें एक गिरतारी शाहजहांपुर जिले के रहने वाले व्यक्ति की हुयी है, इससे यह बात पुख्ता हो गयी है कि इस घटना में बाहरी लोगों की साजिश थी। आरोपित लोगों के मोबाइल फोन की जांच की जा रही है कि यह लोग किन-किन व्यक्तियों के संपर्क में थे और कौन इनको निर्देशित कर रहा था। इस घटना के पीछे बताया गया है कि ज्ञापन देने के बाद उपद्रवी हिन्दुओं की दुकानें लूटकर आगजनी करके उन्हें उकसाकर पूरे शहर को सांप्रदायिकता की आग में झोकने के मंसूबा के साथ निकले थे, लेकिन आगरा शहर के लोगों की सूझ-बूझ एंव उकसावे में न आने के कारण एक बड़ी घटना होते-होते बच गयी।
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