अवैध खनन के मामले में सीबीआई के शिकंजे में उत्तर प्रदेश की नौकरशाही के आने के बाद यह बात साफ हो गयी है कि उत्तर प्रदेश में योगी सरकार के आने के बाद भी भ्रष्ट अफसरों के चंगुल से राज्य की जनता को मुक्त नहीं कराया गया और इसके विपरीत ऐसे भ्रष्ट अफसरों को महत्वपूर्ण पदों पर तैनाती मिल गयी जिन्होंने अपनी पोस्ट को नोट छापने की मशीन बना दिया।
बुलंदशहर के डीएम अभय सिंह के बारे में पूरे प्रदेश में ख्याति थी कि वह भ्रष्ट हैं, खनन घोटाले के मामले में वह शामिल थे लेकिन उसके बावजूद भी सब कुछ जानते हुए भी उनको बुलंदशहर जैसे महत्वपूर्ण जनपद का डीएम नियुक्त किया गया और सीबीआई के बुधवार के छापे के बाद मीडिया में उनके डीएम आवास पर नोटों का जखीरा मिलने की खबर चलने के बाद इन महाशय को जिलाधिकारी पद से हटाया गया। सीबीआई को बुलंदशहर के डीएम आवास में नोट गिनने की मशीनें मंगानी पड़ीं।
इसी तरह आईएएस अधिकारी विवेक, सीडीओ देवीचरण उपाध्याय के आवास से 10 लाख रूपये नगद बरामद सीबीआई ने छापे के दौरान किये हैं, इनकी ख्याति पूर्व की सरकार में भ्रष्ट अफसरों की रही है, उन अफसरों को योगी सरकार के आने के बाद दण्डित करने की उम्मीद जनता को बंधी थी, लेकिन पूरे प्रदेश में दो साल में सरकार तंत्र ऐसे लोगों के हाथ में दे दिया गया है न जो सरकार को गंभीरता से ले रहे हैं और न ही जनता की सुन रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐसे अफसरों पर भरोसा कर जनता को दो साल से मुश्किलों में डाल रखा है। नियुक्ति से पहले अफसर की कार्यप्रणाली, ईमानदारी की समीक्षा किये बगैर ही उनकी नियुक्ति पूरे प्रदेश में कर दी गयी है और यही बेईमान सिस्टम प्रदेश के हालातों को लगातार खराब कर सरकार को बदनाम करा रहा है।
आईएएस अधिकारियों का एक समूह सरकार की प्राथमिकताओं पर काम करने की बजाय अपनी छवि चमकाने के लिए तरह-तरह के उपक्रम कर रहा है। सोशल मीडिया में प्रायोजित फैन्स क्लब बना रखे हैं जो व्यक्तिगत छवि को निखारने के लिए प्रचारित करने के लिए इस्तेमाल किये जा रहे हैं, इसमें आईएएस अफसर अपने आपको दबंग और ईमानदार दिखाने के लिए तरह तरह के प्रयोजित वीडियो अपलोड करते हैं। इससे पहले बुलंदशहर की डीएम रहीं बी चन्द्रकला जिनके यहाॅं भी सीबीआई द्वारा छापा डाला गया था, वह भी सोशल मीडिया के दम पर अपने आपको ग्लैमरस के रूप में उभारा, प्रायोजित अधिकारियों, कर्मचारियों को डाॅटते हुए वीडियो अपलोड कराये और चर्चा में रहीं और उसी तरीके पर आईएएस अभय सिंह छोटे कर्मचारी, अधिकारियों को डाॅटते, फटकारते वीडियो बनवाते थे और सोशल मीडिया में, मीडिया में अपने आपकी दबंग अधिकारी का प्रचार करते रहे हैं। सीबीआई के छापे से पहले उन्होंने बुलंदशहर के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को डाॅटते, फटकारते और उन्हें नौकरी करना सिखाने की धमकी देते हुए वीडियो मीडिया में प्रचारित कराया जिससे लगे कि वह स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कितने सख्त हैं।
इसी तरह उत्तर प्रदेश में आईएएस और पीसीएस अधिकारियों की लाॅबी राज्य सरकार के ऊपर हाबी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार लगातार घोषणाएं नये कार्यक्रम प्रस्तुत कर रही है लेकिन यह लाॅबी जनता के बीच विफल सरकार की छवि बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। अब सवाल यह उठता है कि आखिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने ऐसी क्या मजबूरी है जो निरंकुश नौकरशाही पर लगाम में दो साल बाद भी कोई करगर कदम नहीं उठा सके हैं। भ्रष्ट अफसर उत्तर प्रदेश में महत्वपूर्ण पदों पर लगातार तैनाती पा रहे हैं। जनता की शिकायतों को छोड़िये भाजपा विधायकों की शिकायतों पर भी ऐसे अफसरों को नहीं हटाया गया है।
बुलंदशहर के डीएम अभय सिंह के बारे में पूरे प्रदेश में ख्याति थी कि वह भ्रष्ट हैं, खनन घोटाले के मामले में वह शामिल थे लेकिन उसके बावजूद भी सब कुछ जानते हुए भी उनको बुलंदशहर जैसे महत्वपूर्ण जनपद का डीएम नियुक्त किया गया और सीबीआई के बुधवार के छापे के बाद मीडिया में उनके डीएम आवास पर नोटों का जखीरा मिलने की खबर चलने के बाद इन महाशय को जिलाधिकारी पद से हटाया गया। सीबीआई को बुलंदशहर के डीएम आवास में नोट गिनने की मशीनें मंगानी पड़ीं।
इसी तरह आईएएस अधिकारी विवेक, सीडीओ देवीचरण उपाध्याय के आवास से 10 लाख रूपये नगद बरामद सीबीआई ने छापे के दौरान किये हैं, इनकी ख्याति पूर्व की सरकार में भ्रष्ट अफसरों की रही है, उन अफसरों को योगी सरकार के आने के बाद दण्डित करने की उम्मीद जनता को बंधी थी, लेकिन पूरे प्रदेश में दो साल में सरकार तंत्र ऐसे लोगों के हाथ में दे दिया गया है न जो सरकार को गंभीरता से ले रहे हैं और न ही जनता की सुन रहे हैं। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने ऐसे अफसरों पर भरोसा कर जनता को दो साल से मुश्किलों में डाल रखा है। नियुक्ति से पहले अफसर की कार्यप्रणाली, ईमानदारी की समीक्षा किये बगैर ही उनकी नियुक्ति पूरे प्रदेश में कर दी गयी है और यही बेईमान सिस्टम प्रदेश के हालातों को लगातार खराब कर सरकार को बदनाम करा रहा है।
आईएएस अधिकारियों का एक समूह सरकार की प्राथमिकताओं पर काम करने की बजाय अपनी छवि चमकाने के लिए तरह-तरह के उपक्रम कर रहा है। सोशल मीडिया में प्रायोजित फैन्स क्लब बना रखे हैं जो व्यक्तिगत छवि को निखारने के लिए प्रचारित करने के लिए इस्तेमाल किये जा रहे हैं, इसमें आईएएस अफसर अपने आपको दबंग और ईमानदार दिखाने के लिए तरह तरह के प्रयोजित वीडियो अपलोड करते हैं। इससे पहले बुलंदशहर की डीएम रहीं बी चन्द्रकला जिनके यहाॅं भी सीबीआई द्वारा छापा डाला गया था, वह भी सोशल मीडिया के दम पर अपने आपको ग्लैमरस के रूप में उभारा, प्रायोजित अधिकारियों, कर्मचारियों को डाॅटते हुए वीडियो अपलोड कराये और चर्चा में रहीं और उसी तरीके पर आईएएस अभय सिंह छोटे कर्मचारी, अधिकारियों को डाॅटते, फटकारते वीडियो बनवाते थे और सोशल मीडिया में, मीडिया में अपने आपकी दबंग अधिकारी का प्रचार करते रहे हैं। सीबीआई के छापे से पहले उन्होंने बुलंदशहर के मुख्य चिकित्सा अधीक्षक को डाॅटते, फटकारते और उन्हें नौकरी करना सिखाने की धमकी देते हुए वीडियो मीडिया में प्रचारित कराया जिससे लगे कि वह स्वास्थ्य सेवाओं को लेकर कितने सख्त हैं।
इसी तरह उत्तर प्रदेश में आईएएस और पीसीएस अधिकारियों की लाॅबी राज्य सरकार के ऊपर हाबी है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की सरकार लगातार घोषणाएं नये कार्यक्रम प्रस्तुत कर रही है लेकिन यह लाॅबी जनता के बीच विफल सरकार की छवि बनाने में कोई कसर नहीं छोड़ रही। अब सवाल यह उठता है कि आखिर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के सामने ऐसी क्या मजबूरी है जो निरंकुश नौकरशाही पर लगाम में दो साल बाद भी कोई करगर कदम नहीं उठा सके हैं। भ्रष्ट अफसर उत्तर प्रदेश में महत्वपूर्ण पदों पर लगातार तैनाती पा रहे हैं। जनता की शिकायतों को छोड़िये भाजपा विधायकों की शिकायतों पर भी ऐसे अफसरों को नहीं हटाया गया है।