प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप के साथ सोमवार को टेलीफोन पर बातचीत की। दोनों के बीच सीमापार से होने वाले आतंकवाद, द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मामलों को लेकर बात हुई। जम्मू-कश्मीर में अनुच्छेद 370 हटाने और इसे केंद्रशासित राज्य बनाने के बाद दोनों नेताओं के बीच पहली बार बातचीत हुई है। बताया जा रहा है कि दोनों के बीच करीब 30 मिनट तक बातचीत हुई। पीएम मोदी ने ट्रंप से कहा कि क्षेत्रीय परिस्थितियों के मद्देनजर यहां कुछ नेताओं द्वारा भारत विरोधी हिंसा, शांति के प्रयासों में बड़ी बाधा है। पीएम मोदी ने पाकिस्तान का नाम लिए बिना आतंकवाद का मुद्दा उठाया।
30 मिनट की बातचीत बेहद गर्मजोशी के साथ हुई जिसमें द्विपक्षीय और क्षेत्रीय मुद्दों पर बात हुई। पीएम मोदी ने आतंक रहित वातावरण बनाने पर जोर दिया साथ ही सीमापार से आतंकवाद का मुद्दा भी मजबूती से उठाया।
बता दें कि कश्मीर के मुद्दे पर प्रधानमंत्री इमरान खान ने कुछ दिन पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को फोन किया था। दोनों नेताओं के बीच करीब 12 मिनट तक बातचीत हुई। इस दौरान ट्रंप ने इमरान को आपसी बातचीत से मामले को सुलझाने को कहा था।
गौरतलब है कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को अमेरिका की विदेश नीति मामलों के एक विशेषज्ञ रिचर्ड एन हास ने सलाह दी थी कि वह पाकिस्तान के प्रति किसी भी तरह के राजनीतिक झुकाव से सतर्क रहें। हास विदेश संबंधों की परिषद के अध्यक्ष भी हैं।
पाकिस्तान से सतर्क रहने की सलाह देने के साथ-साथ हास ने ट्रंप को ये भी सुझाव दिया कि भारत के साथ दूरी बनाना नासमझी भरा कदम होगा। उन्होंने पिछले हफ्ते एक खत भी लिखा था, जिसमें उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान को रणनीतिक साझेदार बनाना नासमझी होगी।
ओसाका में अपनी द्विपक्षीय (भारत-अमेरिका) चर्चा का जिक्र करते हुए पीएम मोदी ने उम्मीद जताई कि भारत के वाणिज्य मंत्री और अमेरिकी व्यापार प्रतिनिधि आपसी लाभ के लिए द्विपक्षीय व्यापार संभावनाओं पर चर्चा करने के लिए जल्द मिलेंगे।
इससे पहले हाल ही में ट्रंप ने पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से मुलाकात के दौरान कश्मीर मसले पर मध्यस्थता करने की इच्छा जताई थी, जिसे भारत ने सिरे से खारिज कर दिया था। उन्होंने कहा था कि पीएम मोदी ने भी उनसे इस मसले पर मध्यस्थता करने को कहा था। उनके इस दावे को भारत ने खारिज करते हुए कहा कि इस मसले पर सिर्फ द्विपक्षीय बातचीत होगा, किसी तीसरे पक्ष के दखल को स्वीकार नहीं किया जाएगा।