Tuesday, October 08, 2024

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29 दिन का सफर तय कर चंद्रमा की कक्षा में दाखिल हुआ चंद्रयान-2

Chandrayaan 2 Launchश्रीहरिकोटा से लॉन्चिंग के 29 दिन बाद चंद्रयान-2 आज सुबह 9 बजकर 30 मिनट पर चांद की कक्षा में प्रवेश कर लिया है। इसी के साथ अंतरिक्ष में भारत को एक और बड़ी उपलब्धि हासिल हो गई है। आज से 18वें दिन यानी 7 सितंबर को रात 2.58 बजे चंद्रयान-2 चंद्रमा पर ऐतिहासिक उपस्थिति दर्ज करेगा। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी इस ऐतिहासिक घटना का गवाह बनने श्रीहरिकोटा में रहेंगे।

सपनों को आकार देने में इसरो की दो महिला वैज्ञानिकों के रूप में नारी शक्ति का एक नया रूप देखने को मिला। भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (इसरो) के मुताबिक, चंद्रयान-2 पर लगे दो मोटरों को सक्रिय करने से यह स्पेसक्राफ्ट चंद्रमा की कक्षा में पहुंच गया है।
इसरो के चेयरमैन के सिवन ने बताया, ‘चंद्रयान-2 के चंद्रमा की कक्षा में पहुंचने के बाद इसरो कक्षा के अंदर स्पेसक्राफ्ट की दिशा में 5 बार (20, 21, 28 और 30 अगस्त तथा 1 सितंबर को) और परिवर्तन करेगा। इसके बाद यह चंद्रमा के ध्रुव के ऊपर से गुजरकर उसके सबसे करीब- 100 किलोमीटर की दूरी की अपनी अंतिम कक्षा में पहुंच जाएगा। इसके बाद विक्रम लैंडर 2 सितंबर को चंद्रयान-2 से अलग होकर चांद की सतह का रुख करेगा।


इससे पहले इसरो के पूर्व चीफ किरण कुमार ने बताया था कि चंद्रमा का गुरुत्वाकर्षण प्रभाव 65 हजार किमी तक है जिसका मतलब है कि उस दूरी तक वह स्पेस बॉडी को खींच सकता है। 20 अगस्त को जब चंद्रयान-2 इसकी कक्षा से लगभग 150 किमी दूर था तो इसरो इसकी दिशा में बदलाव किया। इस दौरान इसरो ने चंद्रयान-2 को महत्वपूर्ण वेग प्रदान किया जिससे चंद्रयान-2 ने अपनी गति को कम करके दिशा में बदलाव करके चंद्रमा की कक्षा में आसानी से प्रवेश किया।
इसके बाद विक्रम लैंडर 2 सितंबर को चंद्रयान-2 से अलग होकर चांद की सतह पर उतरेगा। बता दें कि चंद्रयान-2 के 7 सितंबर को चांद की सतह पर उतरने की उम्मीद है। सिवन ने बताया कि चंद्रमा की सतह पर 7 सितंबर 2019 को लैंडर से उतरने से पहले धरती से दो कमांड दिए जाएंगे, ताकि लैंडर की गति और दिशा सुधारी जा सके और वह धीरे से सतह पर उतरे। ऑर्बिटर और लैंडर में फिट कैमरे लैंडिंग जोन का रियल टाइम असेस्मेंट उपलब्ध कराएंगे। लैंडर का डाउनवर्ड लुकिंग कैमरा सतह को छूने से पहले इसका आकलन करेगा और अगर किसी तरह की बाधा हुई तो उसका पता लगाएगा।
धरती और चंद्रमा के बीच की दूरी लगभग 3 लाख 84 हजार किलोमीटर है। चंद्रयान-2 में लैंडर-विक्रम और रोवर-प्रज्ञान चंद्रमा तक जाएंगे। चांद की सतह पर उतरने के 4 दिन पहले रोवर ‘विक्रम’ उतरने वाली जगह का मुआयना करना शुरू करेगा। लैंडर यान से डिबूस्ट होगा। ‘विक्रम’ सतह के और नजदीक पहुंचेगा। उतरने वाली जगह की स्कैनिंग शुरू हो जाएगी और फिर 6-8 सितंबर के बीच शुरू होगी लैंडिंग की प्रक्रिया।
लैंडिंग के बाद 6 पहियो वाला प्रज्ञान रोवर विक्रम लैंडर से अलग हो जाएगा। इस प्रक्रिया में 4 घंटे का समय लगेगा। यह 1 सेमी प्रति सेकंड की गति से बाहर आएगा। 14 दिन यानी 1 लूनर डे के अपने जीवनकाल के दौरान रोवर ‘प्रज्ञान’ चांद की सतह पर 500 मीटर तक चलेगा। यह चांद की सतह की तस्वीरें और विश्लेषण योग्य डेटा इकट्ठा करेगा और इसे विक्रम या ऑर्बिटर के जरिए 15 मिनट में धरती को भेजेगा।
चांद की सतह पर पहुंचने के बाद लैंडर (विक्रम) और रोवर (प्रज्ञान) 14 दिनों तक ऐक्टिव रहेंगे। रोवर प्रज्ञान चांद पर 500 मीटर (½ आधा किलोमीटर) तक घूम सकता है। यह सौर ऊर्जा की मदद से काम करता है। रोवर सिर्फ लैंडर के साथ संवाद कर सकता है। इसकी कुल लाइफ 1 लूनर डे की है। जिसका मतलब पृथ्वी के लगभग 14 दिन होता है।

Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels