प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की लोकप्रियता महज भारत तक ही सीमित नहीं है। यह दीवानगी दुनिया में इस कदर बढ़ती जा रही कि लोग उन्हें सुनने और देखने के लिए आयोजन से महीनों पहले अपना टिकट बुक करा लेते हैं।
इस कार्यक्रम के आयोजनकर्ता एनजीओ टेक्सास इंडिया फोरम (टीआईएफ) ने बुधवार को कहा, सितंबर में NRG Stadium में आयोजित होने वाले इस विशाल सामुदायिक सम्मेलन में पीएम मोदी को सुनने के लिए 50 हजार से ज्यादा समर्थक आने की उत्सुकता दिखा चुके हैं। आयोजकों ने यह भी कहा कि कार्यक्रम में आने के इच्छुक लोगों का अब भी पंजीकरण किया जा रहा है।
नए पंजीकरण वाले लोगों को वेटिंग लिस्ट में नंबर दिया जा रहा है। विश्वविद्यालयों के छात्रों के लिए विशेष आवंटन व्यवस्था के तहत 29 अगस्त तक उपस्थिति पंजीकरण खुला रहेगा। बता दें कि यह मोदी का पीएम के तौर पर अमेरिका में तीसरा सार्वजनिक संबोधन होगा। इससे पहले मोदी ने 2014 में न्यूयॉर्क के मेडिसन स्क्वॉयर गार्डन और 2016 में सिलिकॉन वैली में भारतीय मूल के लोगों को संबोधित किया था। इन दोनों ही कार्यक्रमों में 20 हजार से ज्यादा लोगों की उपस्थिति रही थी।
प्रधानमंत्री मोदी ने कुछ दिन पहले ही अमरीका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प से पाकिस्तान के आतंकवाद से जुड़ाव को लेकर लंबी बातचीत की थी। मोदी न्यूयॉर्क में 27 सितंबर को आयोजित होने वाली संयुक्त राष्ट्र महासभा में शामिल होना है। इससे पहले वह अग्रणी उद्योगपतियों, राजनेताओं और सामुदायिक नेताओं से मिलने के लिए ह्यूस्टन पहुंचेंगे। इस दौरान वह ‘हाऊडी, मोदी’ सम्मेलन में हिस्सेदारी करेंगे, जिसकी टैगलाइन ‘शेयर्ड ड्रीम्स, ब्राइट फ्यूचर्स’ (Shared Dreams, Bright Futures) रखी गई है।
यह किसी भी भारतीय प्रधानमंत्री को सुनने के लिए उत्तरी अमेरिका में जुटने वाली सबसे बड़ी दर्शक संख्या होगी। आयोजक संस्था ने यह भी दावा किया कि पोप फ्रांसिस को छोड़कर किसी अन्य विदेशी नेता को सुनने के लिए आज तक अमेरिका में इतनी भीड़ एकत्र नहीं हुई है। इस कार्यक्रम के आयोजन के लिए 1000 से ज्यादा वालंटियरों और 650 से ज्यादा संगठनों ने वेलकम पार्टनर के तौर पर योगदान दिया है।
इस कार्यक्रम के आयोजन के जरिए अमेरिका की तरक्की और दोनों देशों के बीच संबंधों को मजबूत करने में दिए गए भारतीय मूल के निवासियों के योगदान को हाईलाइट करना है। मोदी का ह्यूस्टन दौरा इस लिहाज से भी खास है कि इस शहर को दुनिया की एनर्जी कैपिटल कहा जाता है और ऊर्जा सुरक्षा प्रधानमंत्री के लिए प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में से एक है।