सोमवार को लखनऊ कैंट सीट से भाजपा प्रत्याशी सुरेश तिवारी ने अपना नामांकन दाखिल कर दिया। पर्चा दाखिल करने के समय उनके साथ प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह व डिप्टी सीएम डॉ दिनेश शर्मा थे।
इससे पहले सुरेश तिवारी का जुलूस भाजपा कार्यालय से रवाना हुआ। इस दौरान बड़ी संख्या में पार्टी कार्यकर्ता गाजे-बाजे के साथ कलेक्ट्रेट रवाना हुए। इस दौरान सुरेश तिवारी के साथ रीता बहुगुणा जोशी, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, डिप्टी सीएम डॉ. दिनेश शर्मा आदि शामिल रहे।वहीं, लखनऊ कैंट सीट पर प्रत्याशी चुने गये पूर्व विधायक सुरेश तिवारी को मिले टिकट में अदला-बदली का संयोग हावी दिखी। पूर्व विधायक सुरेश तिवारी ने 2012 में कांग्रेस की प्रत्याशी डा. रीता बहुगुणा जोशी से हारकर ये सीट गंवाई थी। अब लंबी जद्दोजहद के बाद जब उन्हें ही पार्टी का टिकट मिला है तो संयोग ही कहा जायेगा कि ‘जिनसे हार कर सीट गंवाई उनके छोड़ने पर ही दोबारा सीट पाई।
भले ही भाजपा की ओर से उपचुनाव के लिए प्रत्याशी की घोषणा देरी से हुई हो, लेकिन भाजपाई सीट को एक लाख वोट से जीतने केदावे केसाथ एक महीने से जुटे हुये हैं। पार्टी के दिग्गज नेताओं, कार्यकर्ताओं ने शुरुआत भव्य तरीके से 11 सितंबर से पूरे विधानसभा क्षेत्र में तिरंगा यात्रा निकाल कर की।
उसके बाद से लगातार हर दिन कार्यकर्ताओं का कोई न कोई सम्मेलन होता ही रहा। क्षेत्र में युवा मोर्चा सम्मेलन, पिछड़ा, अनूसचित मोर्चा, महिला सम्मेलन और किसान मोर्चा सम्मेलन हो चुके हैं। इन सभी आयोजनों में क्षेत्र की पूर्व विधायक मौजूदा सांसद डा. रीता बहुगुणा जोशी के अलावा, प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्रदेव सिंह, केंद्रीय जलशक्ति मंत्री गजेन्द्र सिंह शेखावत समेत प्रदेश केकद्दावर नेता भी जुटे।
लगभग पौने चार लाख मतदाता वाली इस सीट से बीजेपी प्रत्याशी डा. रीता बहुगुणा जोशी को वर्ष 2017 केविधानसभा चुनावों में 95 हजार से अधिक मत मिले और उनकी जीत का अंतर तब लगभग 34 हजार मत के आसपास रहा। जबकि सीट पर मतदान 51 प्रतिशत ही हो सका था। ऐसे में सीट पर एक लाख वोट जीत का अंतर कैसे रखा जाये कार्यकर्ताओं की समझ में ही नहीं आ रहा है।