राजस्थान के Kota कोटा के अस्पताल में मासूम बच्चों की मौत को लेकर सरकारी तंत्र किस कदर असंवेदनशील है, इसकी एक तस्वीर सामने आई है।जिस JK Lon Hospital जेके लोन अस्पताल में मासूम 106 बच्चों की मौत हो चुकी है , वहां आज राजस्थान के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा के स्वागत के लिए कारपेट बिछाया गया।
जेके लोन सरकारी अस्पताल में हालात सुधरने का नाम नहीं ले रहे। शुक्रवार सुबह यहां एक और नवजात ने दम तोड़ दिया। जिस बच्ची की मौत हुई, उसका 15 दिन पहले ही जन्म हुआ था। माता-पिता उसका नाम भी नहीं रख पाए थे। जयपुर से 4 घंटे की दूरी होने के बावजूद प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा ने गुरुवार तक इस अस्पताल का दौरा नहीं किया था। शुक्रवार को वे अस्पताल पहुंचे तो प्रशासन ने रातों-रात अस्पताल का कायाकल्प कर दिया। सभी वार्ड में सफाई और पुताई हो गई। बेड पर नई चादरें बिछा दी गईं। मंत्री के स्वागत में ग्रीन कारपेट बिछा दिया गया। लेकिन जब किरकिरी हुई तो इसे हटा लिया। इस बीच, मंत्री के निरीक्षण के बाद अस्पताल में एक और बच्ची की मौत हो गई। इस तरह 34 दिन में 106 बच्चों की मौत हो चुकी है।
मंत्री की आवभगत के लिए अस्पताल के मेन गेट पर बिछाए गए ग्रीन कारपेट पर मरीजों और उनके परिजन ने आपत्ति जताई। मरीजों का कहना था कि मंत्रीजी यहां किसी उद्घाटन समारोह में आ रहे हैं या अस्पताल की समस्याएं दूर करने? जिन मासूमों की मौत हुई, उनके परिजन बोले- जेके लोन अस्पताल में मंत्री के लिए ग्रीन कारपेट बिछाने से क्या बीत रही, हमसे पूछें। जेके लोन कोटा-बूंदी संसदीय क्षेत्र का सबसे बड़ा सरकारी अस्पताल है। लोकसभा स्पीकर ओम बिड़ला इसी क्षेत्र से सांसद हैं। मंत्री रघु शर्मा के दौरे के चलते भाजपा कार्यकर्ता विरोध के लिए अस्पताल पहुंचे थे, जिन्हें पुलिस ने हिरासत में लिया। वहां कांग्रेस कार्यकर्ता बड़ी संख्या में मौजूद थे।
स्वास्थ्य मंत्री के दौरे के बाद जिस एक और बच्ची की मौत हुई, वह दोसा की रहने वाली थी। उसका नाम टीना था और वह 5 महीने की थी। उसके पिता लालाराम ने बताया कि बच्ची को पहले बूंदी हॉस्पिटल में भर्ती कराया गया था। वहां उपचार नहीं होने पर उसे कोटा रेफर कर दिया गया। जेके लोन अस्पताल में वे उसे सुबह 11 बजे लेकर आए थे। शाम 5:30 बजे बच्ची ने दम तोड़ दिया। अस्पताल में पिछले 33 दिन में 104 नवजातों की मौतों के बाद भी कोटा न पहुंचने के कारण स्वास्थ्य मंत्री रघु शर्मा और उनकी सरकार भाजपा के निशाने पर हैं। कहा जा रहा है कि अगर वे पहले मौके पर जाते तो पता चलता कि जमीनी हालात कितने खराब हैं। अभी तक मंत्री के स्तर पर सिर्फ वहीं कदम उठाए जा रहे हैं, जैसा कि अफसरों की ओर से फीडबैक दिया जा रहा है।