सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) ने गुरुवार को कहा कि विश्वविद्यालय (University ) स्नातक (Undergraduate ) और स्नातकोत्तर (Postgraduate) पाठ्यक्रमों के पहले व दूसरे वर्ष की परीक्षा कराने के लिए स्वतंत्र हैं। जस्टिस अशोक भूषण, आर सुभाष रेड्डी और एमआर शाह की पीठ ने कहा, ‘विश्वविद्यालय अनुदान आयोग (यूजीसी) ने पहले और दूसरे वर्ष की परीक्षाएं कराने का फैसला विश्वविद्यालयों के विवेक पर छोड़ दिया है। अगर विश्वविद्यालय परीक्षाएं आयोजित करना चाहते हैं, तो हम उन्हें रोक नहीं सकते। यह न्यायिक समीक्षा का आधार नहीं है।’
शीर्ष अदालत ने यह टिप्पणी तब कि जब वह विश्वविद्यालय (University )की फर्स्ट और सेकेंड ईयर की परीक्षा कराने के विरोध में दायर एक याचिका पर सुनवाई कर रही थी। आयुष येसुदास नाम के एक छात्र द्वारा दायर याचिका में कहा गया था कि 27 अप्रैल 2020 को जारी यूजीसी की गाइडलाइंस में यह कहा गया था कि स्नातक/ स्नातकोत्तर पाठ्यक्रमों के प्रथम और द्वितीय वर्ष के छात्रों को आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर होगा न कि परीक्षा कराकर। यूजीसी ने यह फैसला देश में बढ़ते कोविड-19 संक्रमण के बढ़ते मामलों के मद्दनेजर लिया था।’
कोर्ट ने कहा, ‘यह मामला 14 अगस्त के फैसले में निपटा दिया गया है, जिसमें यूजी/पीजी पाठ्यक्रमों की फाइनल ईयर की परीक्षाएं अनिवार्य तौर पर कराने की यूजीसी की छह जुलाई की गाइडलाइंस को सही ठहराया गया है। उसी समय विश्वविद्यालयों (University ) को यह स्वतंत्रता भी दी गई है कि वह पिछले वर्षों के छात्रों को प्रमोट करने के लिए परीक्षाएं करवा सकते हैं।’
वहीं, याचिकाकर्ता ने यूजीसी की गाइडलाइंस को रेखांकित करते हुए कहा, ‘ कोरोना की स्थिति अभी खत्म नहीं हुई है। हालात सामान्य नहीं हुए हैं। ऐसी स्थिति में परीक्षाएं करना यूजीसी की गाइडलाइंस का उल्लंघन है।’
बता दें कि 27 अप्रैल की यूजीसी गाइडलाइंस में कहा गया था, ‘इंटरमीडिएट सेमेस्टर/वर्ष के विद्यार्थियों के लिए विश्वविद्यालय (University ) अलग-अलग क्षेत्रों व राज्यों में कोरोना की स्थिति का जायजा लेकर और छात्रों की आवासीय स्थिति को ध्यान में रखकर अपने स्तर पर तैयारी का व्यापक मूल्यांकन करने के बाद परीक्षा आयोजित कर सकते हैं। अगर हालात सामान्य नहीं होते हैं तो छात्रों के स्वास्थ्य को सर्वोच्च प्राथमिकता मानते हुए उन्हें 50 फीसदी मार्क्स विश्वविद्यालय के आंतरिक मूल्यांकन के आधार पर और शेष 50 फीसदी मार्क्स पिछले वर्षों के सेमेस्टर (अगर उपलब्ध है तो) में प्रदर्शन के आधार पर दे सकते हैं।