राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद (President Ram Nath Kovind) ने संसद से पारित तीनों कृषि बिल ( Farm Bills )को रविवार को स्वीकृति दे दी। इस मंजूरी के साथ ही अब ये विधेयक कानून बन गए हैं। इन विधेयकों में कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) और किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा विधेयक शामिल हैं। इस विधेयकों को लोकसभा और राज्यसभा में पास किए जाने के बाद राष्ट्रपति के पास मंजूरी के लिए भेजा गया था।
संसद ने हाल में कृषि उपज व्यापार और वाणिज्य (संवर्द्धन और सुविधा) विधेयक-2020 और कृषक (सशक्तीकरण एवं संरक्षण) कीमत आश्वासन समझौता और कृषि सेवा पर करार विधेयक-2020 तथा आवश्यक वस्तु (संशोधन) विधेयक को पारित किया है, जिस का किसानों के अलावा कांग्रेस समेत विपक्षी दल विरोध कर रहे हैं।
कृषि उत्पादन व्यापार और वाणिज्य (संवर्धन और सुविधा) विधेयक किसानों को उनकी उपज देश में कहीं भी, किसी भी व्यक्ति या संस्था को बेचने की इजाजत देता है। इसके जरिये एक देश, एक बाजार की अवधारणा लागू की जाएगी। किसान अपना उत्पाद खेत में या व्यापारिक प्लेटफॉर्म पर देश में कहीं भी बेच सकेंगे। वहीं किसान (बंदोबस्ती और सुरक्षा) समझौता और कृषि सेवा विधेयक बोआई से पहले किसान को अपनी फसल को तय मानकों और तय कीमत के अनुसार बेचने का अनुबंध करने की सुविधा प्रदान करता है।
बीते दिनों इन विधेयकों ( Farm Bills ) को पारित किए जाने के दौरान राज्यसभा में विपक्ष ने भारी हंगामा किया था। राज्यसभा में विपक्षी सांसदों ने हल्ला और शोरगुल के बीच धक्कामुक्की, माइक की तोड़फोड़, रूल बुक के पन्ने फाड़कर फेंक दिए थे। बाद में आठ सदस्यों के खिलाफ अनुशासनात्मक कार्रवाई भी की गई थी। यही नहीं विपक्ष ने राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद से इन विधेयकों पर हस्ताक्षर नहीं करने और इन्हें लौटाने की गुहार लगाई थी।इन विधेयकों का विरोध राजग के सबसे पुराने सहयोगी शिरोमणि अकाली दल ने भी किया है और उसने खुद को राजग से अलग कर लिया।