कंगना रनौत ( Kangana Ranaut ) पर की गई अशोभनीय टिप्पणियों के कारण मंगलवार को शिवसेना सांसद संजय राउत ( Sanjay Raut ) को बॉम्बे हाई कोर्ट (Bombay High Court ) की तगड़ी खिंचाई का सामना करना पड़ा। हाईकोर्ट ने कंगना के बांद्रा स्थित कार्यालय में तोड़फोड़ के लिए बीएमसी पर भी सख्त टिप्पणियां की हैं। कोर्ट ने दोनों पक्षों से एक हफ्ते में लिखित स्पष्टीकरण देने को कहा है। जस्टिस शाहरुख जिमी कत्थावाला और रियाज इकबाल छागला की खंडपीठ ने कंगना की याचिका पर सुनवाई करते हुए संजय राउत द्वारा रनोट पर की गई अशोभनीय टिप्पणियों के लिए जमकर खिंचाई की। गत दिनों कंगना ने मुंबई पुलिस और मुंबई की सुरक्षा व्यवस्था पर सवाल उठाए थे। जिसके जवाब में राउत ने रनौत को “हरामखोर” कहा था।
बॉलीवुड अभिनेत्री कंगना रनौत ( Kangana Ranaut ) के कार्यालय तोड़े जाने के मामले में मंगलवार को बॉम्बे हाई कोर्ट में सुनवाई हुई। इस दौरान शिवसेना (Shiv Sena) सांसद संजय राउत ( Sanjay Raut )के वकील प्रदीप थोरात ने अदालत में कहा कि वे निजी कारणों की वजह से सुनवाई में शामिल नहीं हो सके। अब कोर्ट उन्हें बुधवार को सुनेगा। इसके बाद बीएमसी (बीएमसी) के वकील ने कोर्ट में अपना पक्ष रखा। अब कंगना के दफ्तर में तोड़फोड़ मामले में पांच अक्तूबर को सुनवाई होगी।
बॉम्बे हाई कोर्ट ने एक साक्षात्कार में शिवसेना के प्रवक्ता संजय राउत ( Sanjay Raut ) द्वारा अभिनेत्री कंगना रनौत ( Kangana Ranaut ) को दी गई एक कथित धमकी का उल्लेख करते हुए मंगलवार को पूछा कि क्या एक सांसद को इस तरह जवाब देना चाहिए?
अभिनेत्री कंगना रनौतने शिवसेना के नियंत्रण वाली बृह्नमुंबई महानगरपालिका (बीएमसी) द्वारा नौ सितंबर को उनके बंगले में की गई तोड़-फोड़ की कार्रवाई के खिलाफ दायर याचिका में राउत को भी प्रतिवादी बनाया है। उच्च न्यायालय ने तोड़-फोड़ की कार्रवाई पर रोक लगा दी थी। अदालत ने कहा कि ‘हालांकि, हम याचिकाकर्ता (रणौत) द्वारा कहे गए एक भी शब्द से सहमत नहीं हैं, लेकिन क्या यह बात करने का तरीका है?’
न्यायमूर्ति एसजे कठवल्ला और न्यायमूर्ति आरआई चागला की खंडपीठ ने कहा कि ‘हम भी महाराष्ट्रवासी हैं। हम सभी को महाराष्ट्रवासी होने पर गर्व है। लेकिन हम जाकर किसी का घर नहीं तोड़ते। क्या प्रतिक्रया देने का यह तरीका है? क्या आपमें दया नहीं है?’
, बीएमसी की कार्रवाई को ‘अवैध’ करार देते हुए दो करोड़ रुपये के मुआवजे का अनुरोध करने वाली रनौत की याचिका पर पीठ अंतिम सुनवाई कर रही है। इससे पहले मंगलवार को सुनवाई के दौरान, राउत ने एक शपथपत्र दाखिल किया, जिसमें उन्होंने रनौत को धमकी दिए जाने से इंकार किया।
शपथपत्र में कहा गया कि ‘यह इस तरह नहीं था, जिस तरह याचिकाकर्ता ने आरोप लगाया था।’ इस पर अदालत ने कहा कि कम से कम राउत ने स्वीकार किया कि वह साक्षात्कार में रनौत के बारे में बात कर रहे थे, जैसा कि पहले की सुनवाई में, उनके वकील ने इस बात से इंकार किया था कि राउत ने रणौत के संदर्भ में कुछ भी कहा था।
एक चैनल को दिए साक्षात्कार में राउत ने अभिनेत्री के संदर्भ में कथित तौर पर आपत्तिजनक शब्द का उपयोग किया था और कहा था, ‘कानून क्या है? उखाड़ देंगे।’ पीठ ने कहा कि ‘आप एक सांसद हैं। आपमें कानून के लिए कोई सम्मान नहीं है? आपने पूछा कि कानून क्या है?’
राउत के वकील ने माना कि राज्यसभा सदस्य को अधिक जिम्मेदार होना चाहिए था। राउत के वकील ने कहा कि ‘उन्हें (राउत) ऐसा नहीं कहना चाहिए था। लेकिन वहां धमकी भरा कोई संदेश नहीं था। उन्होंने केवल इतना कहा था कि याचिकाकर्ता बेहद बेईमान हैं… और यही वह टिप्पणी थी जिसके बाद याचिकाकर्ता ने कहा कि महाराष्ट्र सुरक्षित नहीं है।’