जम्मू-कश्मीर ( Jammu and Kashmir) के कुपवाड़ा ( Kupwara ) जिले में एक बार आतंकियों ने नियंत्रण रेखा पर घुसपैठ करने की कोशिश की। आतंकियों के द्वारा की गई घुसपैठ पर रोक लगाने के लिए सुरक्षाबलों ने सर्च ऑपरेशन शुरू की। अभी तक मिली जानकारी के मुताबिक, इस मुठभेड़ में सुरक्षाबलों ने तीन आतंकियों को मार गिराया है। आतंकवादियों के साथ मुठभेड़ में भारतीय सेना (Indian Army )के कैप्टन समेत 4 जवान भी शहीद हो गए।
यह मुठभेड़ कुपवाड़ा ( Kupwara ) जिले के स्थित माछिल सेक्टर ( Machil Sector ) में भारत-पाकिस्तान के बीच नियंत्रण रेखा ( LoC ) पर हुई। सुरक्षाबलों के द्वारा अभी भी सर्च ऑपरेशन जारी है। इस ऑपरेशन में सुरक्षाबलों को आतंकियों के पास से एक AK-47 राइफल और दो बैग बरामद किए हैं।इस इलाके में सेना के जवानों की तैनाती कर सर्च ऑपरेशन चलाया गया।
बीएसएफ ( BSF )अधिकारियों ने बताया कि 7 और 8 नवंबर की रात करीब एक बजे 169 वीं बटालियन के जवान पेट्रोलिंग कर रहे थे। इस दौरान माछिल सेक्टर में नियंत्रण रेखा के पास आतंकियों की कुछ हलचल देखी गई। इसके बाद सुरक्षाबलों ने सुरक्षाबलों को घेर कर सर्च ऑपरेशन शुरू किया गया। जहां सुरक्षाबलों और आतंकियों के बीच मुठभेड़ शुरू हो गई। जिसमें बीएसएफ जवानों ने अब तक तीन आतंकियों को मार गिराया। अधिकारी ने बताया कि बीएसएफ की गोलियों से एक आतंकी मौके पर ही ढेर हो गया। जबकि बाकी आतंकी पहाड़ियों में छिप गए।
वहीं, कुछ देर बाद पाकिस्तानी चौकियों की ओर से आतंकियों ने सुरक्षाबलों पर गोलीबारी कर दी। इस गोलीबारी में बीएसएफ जवान सुदीप कुमार को गोली लग गई। इसके बावजूद सुदीप ने अपनी लड़ाई जारी रखी। जिसमें वह लड़ते-लड़ते शहीद हो गए। यहां के हालात को देखते हुए कई सुरक्षा जवानों को उतारा गया है।

जम्मू कश्मीर के कुपवाड़ा ( Kupwara ) में शहीद हुए कैप्टन आशुतोष कुमार बिहार (Bihar ) के मधेपुरा के घैलाढ़ प्रखंड के भतरंथा परमानपुर पंचायत के रहने वाले थे। उनके पिता रवींद्र यादव पशु अस्पताल में कार्यरत हैं। वह अपने माता-पिता के इकलौते पुत्र थे। आशुतोष की शहादत से ग्रामीण दुखी तो हैं पर दुश्मन देश और आतंकवाद के खिलाफ उनके मन में आक्रोश भी है। ग्रामीणों का कहना है कि आतंकियों के साथ जिस तरह लोहा लेते हुए आशुतोष न अपनी शहादत दी, उससे यह गांव नहीं बल्कि पूरे जिले का नाम रोशन हुआ है। ग्रमीणों ने बताया कि आशुतोष मिलनसार थे। वह पढऩे के दौरान काफी मेधावी थे। गांव आने पर वह नौजवानों को सेना में जाने के लिए काफी प्रेरित करते थे। वह युवाओं को सेना में भर्ती होकर देश की सेवा करने के लिए हमेशा प्रोत्साहित करते थे।