
जाने माने राष्ट्रवादी पत्रकार रिपब्लिक टीवी के के प्रधान संपादक अर्नब गोस्वामी (Republic TV Editor-in-chief Arnab Goswami ) ने मंगलवार को सुप्रीम कोर्ट का रुख किया है। दरअसल, अर्नब गोस्वामी ने बॉम्बे हाईकोर्ट के उस आदेश को सुप्रीम कोर्ट में चुनौती दी है, जिसमें कोर्ट ने 2018 में आत्महत्या के मामले में गोस्वामी को अंतरिम जमानत देने से इनकार कर दिया था। अब इस मामले में सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) कल यानि बुधवार 11 नवंबर को सुनवाई करेगा।
इससे पहले मुंबई पुलिस ने रिपब्लिक टीवी के असिस्टेंट वाइस प्रेसिडेंट (AVP) घनश्याम के घर मंगलवार सुबह छापा मारा और उन्हें हिरासत में ले लिया। यह कार्रवाई फेक TRP मामले में की गई है। इससे पहले भी पुलिस घनश्याम से 30 घंटे से ज्यादा की पूछताछ कर चुकी थी।इस केस में ये 12वीं गिरफ्तारी है। मुंबई पुलिस के अधिकारी से मिली जानकारी के अनुसार मंगलवार सुबह 7 बजकर 40 मिनट पर पुलिस ने थाने वेस्ट इलाके में बनी ग्रुप हाउसिंग सोसायटी में छापा मार घनश्याम सिंह को गिरफ्तार किया था। घनश्याम कुमार सिंह रिपब्लिक टीवी में डिस्ट्रीब्यूश हेड के पद पर कार्यरत थे।
गौरतलब है कि बॉम्बे हाईकोर्ट ने टीआरपी घोटाले में शिकायतकर्ता हंसा रिसर्च ग्रुप प्राइवेट लिमिटेड की ओर से दायर एक याचिका पर शनिवार को महाराष्ट्र सरकार, मुंबई पुलिस के आयुक्त परमबीर सिंह तथा दो अन्य पुलिस अधिकारियों से जवाब तलब किया था। इस याचिका में पुलिस पर उत्पीड़न का आरोप लगाया गया था। कंपनी और उसके तीन वरिष्ठ अधिकारियों ने इस याचिका के माध्यम से आरोप लगाया है कि नगर की पुलिस अवैध और अत्यंत आपत्तिजनक तरीके से इस मामलो की जांच कर रही है।
बंबई उच्च न्यायालय ने सोमवार को इस मामले में अर्नब गोस्वामी ( Arnab Goswami ) और दो अन्य को अंतरिम जमानत देने से इंकार करते हुए कहा था कि उन्हें राहत के लिए निचली अदालत जाना चाहिए। उच्च न्यायालय ने कहा था कि अगर आरोपी अपनी ‘गैरकानूनी गिरफ्तारी’ को चुनौती देते हैं और जमानत की अर्जी दायर करते हैं, तो संबंधित निचली अदालत चार दिन के भीतर उस पर निर्णय करेगी।
उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ अर्नब गोस्वामी ( Arnab Goswami ) ने यह अपील अधिवक्ता निर्मिमेष दुबे के माध्यम से दायर की है। अर्णब ने इस याचिका में महाराष्ट्र सरकार के साथ ही अलीबाग थाने के प्रभारी, मुंबई के पुलिस आयुक्त परम बीर सिंह को भी पक्षकार बनाया है। इस बीच,महाराष्ट्र सरकार ने भी सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court) में अपने अधिवक्ता सचिन पाटिल के माध्यम से न्यायालय में कैविएट दाखिल की है ताकि उनका पक्ष सुने बगैर गोस्वामी की याचिका पर कोई आदेश नहीं दिया जाए।