उत्तर प्रदेश पर्यटन विकास निगम के गोमती होटल ( Hotel Gomti ) लखनऊ ( Lucknow) के बार के मैनेजर अशोक पाठक को अधिकारियों ने झूठे केस में जेल भिजवाने का डर दिखा कर इतना परेशान किया कि उसने खुद को गोली मारकर आत्महत्या कर ली।
घटनाक्रम के अनुसार गोमती होटल ( Hotel Gomti )के वेटर सुरेश कुमार पाल (48) का शव शनिवार सुबह पारा स्थित घर में फांसी के फंदे पर लटका मिला। विभाग के अधिकारियों ने बार मैन (बार के मैनेजर) अशोक पाठक (52) को इसके लिए जिम्मेदार ठहराते हुए जेल जाने की बात कही तो चंद घंटे बाद उन्होंने इंदिरानगर के सेक्टर-11 स्थित घर में लाइसेंसी रिवाल्वर से गोली मारकर खुदकुशी कर ली।
सुसाइड नोट में होटल के मैनेजर व पर्यटन विभाग के कुछ अधिकारियों पर प्रताड़ना का आरोप लगाया। उनकी पत्नी ने सुसाइड नोट के आधार पर संबंधित अधिकारियों के खिलाफ गाजीपुर थाने में नामजद तहरीर दी है। पुलिस ने छानबीन के बाद कार्रवाई की बात कही है।
घटना की सूचना पर गाजीपुर पुलिस ने मौका मुआयना किया तो अशोक पाठक( Ashok Pathak )के पास से कई पन्ने का सुसाइड नोट मिला। अपर मुख्य सचिव गृह और पुलिस कमिश्नर को संबोधित सुसाइड नोट में लिखा कि पर्यटन विभाग के अधिकारी व गोमती होटल के मैनेजर सुरेश की खुदकुशी के मामले में उन्हें फंसाने की साजिश रच रहे हैं। दरवाजे पर पुलिस आएगी तो आत्मसम्मान को ठेस पहुंचेगी, इसलिए आत्महत्या कर रहा हूं।
इसी सुसाइड नोट के आधार पर अशोक की पत्नी व आर्य कन्या इंटर कॉलेज की शिक्षिका ममता पाठक ने गाजीपुर थाने में तहरीर दी। उन्होंने आरोप लगाया कि होटल ( Hotel Gomti )के मैनेजर संगीत गर्ग उनके पति को बहुत प्रताड़ित कर रहे थे। यह भी कहा कि उनके पति के बढ़े वेतनमान को विभाग के अधिकारी नीरज आहूजा, अक्षय नागर व पूर्व मैनेजर श्तींद्र पांडेय ने रोक रखा था। ममता ने चारों के खिलाफ नामजद तहरीर देकर कार्रवाई की मांग की है। गाजीपुर इंस्पेक्टर अनिल कुमार का कहना है कि छानबीन चल रही है।
ममता ने एक वीडियो में बताया कि पति अशोक नवरात्र का व्रत थे। इसके बावजूद मैनेजर उनसे 18 घंटे तक काम ले रहे थे। इस प्रताड़ना से वे इतना परेशान थे कि तीन दिन से कुछ खाया तक नहीं था। अवसाद में आकर शनिवार को उन्होंने आत्महत्या कर ली। अशोक ने पत्नी ममता, बेटी शिवानी व बेटे शशांक के नाम भी नोट लिखा है। इसमें लिखा कि उनकी मौत के बाद कोई भी क्लेम लेने पर्यटन निगम कार्यालय न जाए।
अशोक पाठक की बेटी शिवानी ने बताया कि पिता 32 से नौकरी कर रहे थे। बीमारी के बाद भी वे हर हाल में 10 बजे ड्यूटी पर पहुंच जाते थे। वहीं, उनके लौटने का कोई समय नहीं होता था। कभी रात के तीन तक बज जाते थे, लेकिन ईमानदारी से नौकरी का उन्हें ये सिला मिला। शिवानी का आरोप है कि पर्यटन विभाग के कुछ अधिकारी गोमती होटल को घाटे में दिखाकर निजी हाथों में देना चाहते थे। उनके पिता इसमें बाधक बन रहे थे। वह ईमानदारी से ड्यूटी करके बार को घाटे में जाने नहीं दे रहे थे। आरोप लगाया कि इसी कारण उसके पिता को प्रताड़ित किया जा रहा था, ताकि वे नौकरी छोड़ दें या सुसाइड कर लें।
शिवानी ने बताया कि नौ सितंबर को उनके पिता ने गलत बिल बनाने को लेकर वेटर सुरेश को फटकारा था। दो दिन बाद सुरेश ने माफी मांग ली थी। इसके बाद दोनों में कोई विवाद नहीं रह गया था। उनमें पहले ही तरह बातचीत भी होती थी। सुरेश की मौत के बाद उनके परिजन ने भी अशोक पर कोई आरोप नहीं लगाया। पारा थाने के उपनिरीक्षक पटेल सिंह राठी ने भी बताया कि सुरेश के घरवालों ने न तो कोई तहरीर दी और न ही किसी पर कोई आरोप लगाया है। इसके बावजूद पर्यटन विभाग का कोई अधिकारी बार-बार अशोक को फोन करके सुरेश की मौत के मामले में जेल जाने की बात कहकर डरा रहा था।