भाजपा सांसद हरनाथ सिंह यादव ने बुधवार को राज्यसभा ( Rajya Sabha ) में न्यायपालिका में बड़े सुधार के लिए आवाज उठाई। उन्होंने कहा कि लोकतंत्र की सफलता के लिए आवश्यक है कि जनता को जल्द से जल्द और सस्ता न्याय मिलना सुनिश्चित किया जाना चाहिए। लेकिन वास्तविकता में जनता को न्याय पाने में बहुत ज्यादा देरी हो रही है, जिससे लोगों को भारी नुकसान हो रहा है। उन्होंने कहा कि निचली अदालतों से लेकर सर्वोच्च अदालतों तक में बिना घूस के कोई काम नहीं हो रहा है, इस पर तत्काल रोक लगाने के लिए न्यायिक जवाबदेही सुनिश्चित होनी चाहिए, जिससे जनता का न्यायपालिका में भरोसा कायम रहे।
राज्यसभा ( Rajya Sabha ) में शून्यकाल के दौरान हरनाथ सिंह यादव ने प्रयागराज जिले के नैनी चक्का गांव का एक मामला सदन में उठाया। उन्होंने कहा कि सात बिस्वा जमीन का यह विवाद 1969 में शुरू हुआ था, लेकिन इसमें अंतिम फैसला इसी वर्ष लगभग एक महीने पहले आया है। न्याय मिलने में 52 साल का समय लग गया, इस दौरान 56 जजों ने इस मामले की सुनवाई की। उन्होंने कहा कि इस मामले में कुल सात लोगों ने न्याय पाने के लिए गुहार लगाई थी, लेकिन लंबी कानूनी प्रक्रिया के दौरान इसमें से छह लोगों की मौत हो गई।
राज्यसभा ( Rajya Sabha ) में भाजपा नेता ने कहा कि यह अकेला मामला न्यायिक प्रक्रिया में बड़ी खामी दिखाने के लिए पर्याप्त है। उन्होंने कहा कि देश में लगभग चार करोड़ मुकदमे विभिन्न अदालतों में लंबित हैं, जिसमें लगभग 20 करोड़ जनता उलझी हुई है। इससे न केवल लोगों को भारी आर्थिक नुकसान होता है, बल्कि अन्याय का सामना भी करना पड़ता है। लोगों को लंबे समय तक जेलों में रहना पड़ता है और बाद में उन्हें निर्दोष करार दिया जाता है। उन्होंने कहा कि अब समय आ गया है कि न्यायिक जवाबदेही तय होनी चाहिए।
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राज्य सभा, शून्यकाल में उठाया,*प्रयागराज की एक अदालत में
7 विस्वा जमीन के विवाद निबटारे में
52 साल लगे,
56 न्यायाधीश बदले,
अंतिम निर्णय से पहले
,: सुने-7 याचिका कर्ताओं में से 6 की मृत्यु हो गई pic.twitter.com/GwpC7lMVjY— हरनाथ सिंह यादव (Harnath Singh Yadav) (@harnathsinghmp) March 30, 2022
न्याय पाने में लगे 52 साल, 56 जजों ने की सुनवाई,राज्यसभा में सांसद बोले- तय हो न्यायिक जवाबदेही