उत्तर प्रदेश के बहुचर्चित हाथरस कांड ( Hathras Case ) में गुरुवार को 900 दिन बाद एससी-एसटी अदालत ने फैसला सुनाया है। चारों आरोपी सामूहिक दुष्कर्म केस में बरी कर दिया है। अदालत ने चार आरोपियों में से सिर्फ़ संदीप ठाकुर को गैरइरादतन हत्या का दोषी मानते हुए आजीवन कारावास की सजा सुनाई और 50 हजार रुपये का दंड लगाया। जबकि तीन अन्य आरोपियों लवकुश सिंह, रामू सिंह और रवि सिंह को बरी कर दिया। अदालत ने संदीप को गैर इरादतन हत्या (धारा-304) और एससी/एसटी एक्ट में दोषी माना।
आरोपी पक्ष के वकील मुन्ना सिंह पुंढीर ने कहा, “रवि सिंह, रामू सिंह, लवकुश सिंह को निर्दोष मानते हुए बरी किया गया है। संदीप को उम्रकैद की सजा दी गई है। साथ ही, 50 हजार रुपए का जुर्माना लगाया गया है। ऐसा कोई गवाह नहीं मिला, जिसके बयान से गैंगरेप की पुष्टि हो।
सीबीआई ने जो चार्जशीट दी थी, उसमें 302, 376-ए, 376-ए व 376-बी में आरोपी बनाया था, लेकिन इन धाराओं की पुष्टि नहीं हो पाई। ये पूरा केस बनाया गया था। यही होना ही था, संदीप भी निर्दोष है, ये भी छूटेगा। इसके लिए हम लोग हाईकोर्ट जाएंगे।”
दिल्ली का निर्भया केस लड़ने के बाद चर्चा में आई सीमा कुशवाह ने हाथरस कांड ( Hathras Case ) की भी इस मामले में पैरवी की। गुरुवार को फैसले के बाद उन्होंने कहा, “हम इस फैसले के खिलाफ हाईकोर्ट में अपील करेंगे। मुझे उम्मीद है कि आज एक को सजा मिली है। बाद में इन तीनों आरोपियों को भी सजा मिलेगी। अगर एक ही आरोपी था तो तीन अन्य लोगों के खिलाफ सीबीआई ने चार्जशीट क्यों फाइल की थी। शुरुआत से इस मामले को राजनीतिक नजरिए की तरह से देखा गया। मुझे लगता है कि इस केस में बहुत कुछ राजनीतिक प्रभाव दिख रहा है। अगर जरूरत पड़ी तो सुप्रीम कोर्ट भी जाएंगे।”