पश्चिम बंगाल में 8 जून को पंचायत चुनाव से 18 दिन पहले बुधवार को राज्यपाल डॉ. सीवी आनंद बोस ने राज्य चुनाव आयुक्त (State Election Commissioner ) राजीव सिन्हा ( Rajiva Sinha)की जॉइनिंग रिपोर्ट राज्य सरकार को लौटा दी।
इस महीने की शुरुआत में पंचायत चुनाव के लिए नामांकन दाखिल करने के दौरान हत्याओं, हिंसा और झड़पों की घटनाओं के स्पष्टीकरण के संबंध में एसईसी राजीव सिन्हा( Rajiva Sinha) को राज्यपाल ने बुलाया था। लेकिन सिन्हा ने नामांकन की जांच का हवाला देते हुए आने से मना कर दिया था।इससे पहले भी उन्हें एक बार बुलाया गया, लेकिन काम का हवाला देकर सिन्हा ने राजभवन आने से मना कर दिया था। भाजपा ने भी सिन्हा पर TMC का समर्थन करने का आरोप लगाया था।
राज्य चुनाव आयुक्त (State Election Commissioner )राजीव सिन्हा ( Rajiva Sinha)सितंबर 2019 से सितंबर 2020 तक पश्चिम बंगाल के मुख्य सचिव रह चुके हैं। उन्हें मुख्यमंत्री ममता बनर्जी का खास माना जाता है। पिछले महीने ममता सरकार ने राज्य चुनाव आयुक्त के पद के लिए राजीव सिन्हा और तीन अन्य लोगों का नाम राज्यपाल को भेजा था। गवर्नर ने ही उनकी नियुक्ति की मंजूरी दी थी। अब उन्होंने उनका जॉइनिंग लेटर लौटा दिया है।
कानून के मुताबिक, चुनाव आयुक्त को हटाने की प्रक्रिया महाभियोग के जरिए होती है। इस मामले में तो खुद गवर्नर ने उन्हें चुना था। ऐसे में इस मामले में आगे क्या होगा यह अभी स्पष्ट नहीं है।
कलकता हाईकोर्ट ( Calcutta High Court ) ने पंचायत चुनाव से पहले राज्य में हो रही हिंसा को लेकर राजीव सिन्हा ( Rajiva Sinha)को हिदायत भी दी थी। चीफ जस्टिस टी.एस. शिवगणनम ने सिन्हा को सलाह देते हुए कहा था कि अगर वह अपने पद का दबाव नहीं झेल पा रहे हैं तो कुर्सी छोड़ दें। राज्यपाल किसी और को नियुक्त करेंगे।