संसद के मानसून सत्र में पास हुए दिल्ली सर्विस बिल (Delhi Services Act 2023)समेत 4 बिलों को राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू ने मंजूरी दे दी है। अब ये चारों बिल कानून बन गए हैं। इनमें डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन बिल, द रजिस्ट्रेशन ऑफ बर्थ एंड डेथ बिल और जन विश्वास बिल शामिल हैं।
भारत सरकार ने गवर्नमेंट ऑफ नेशनल कैपिटल टैरिटरी ऑफ दिल्ली (अमेंडमेंट) एक्ट और डिजिटल पर्सनल डाटा प्रोटेक्शन एक्ट का गजट नोटिफिकेशन भी जारी कर दिया है। इन दोनों बिलों का विपक्षी दलों ने काफी विरोध किया था।
अब, डेटा प्रोटेक्शन बिल के प्रावधानों का उल्लंघन करने वालों पर न्यूनतम 50 करोड़ रुपए से लेकर अधिकतम 250 करोड़ रुपए तक का जुर्माना लगेगा। वहीं, दिल्ली में अफसरों के ट्रांसफर-पोस्टिंग के अधिकार केंद्र को मिल गए हैं।
किसी भी मामले पर फैसला बहुमत के हिसाब से होगा। यानी चीफ सेक्रेटरी और प्रिसिंपल सेक्रेटरी मिलकर दिल्ली के मुख्यमंत्री के फैसले को खारिज कर सकते हैं।11 मई 2023 को सुप्रीम कोर्ट में 5 जजों की कॉन्स्टिट्यूशन बेंच ने अफसरों पर कंट्रोल का अधिकार दिल्ली सरकार को दिया था। साथ ही कहा कि उपराज्यपाल सरकार की सलाह पर ही काम करेंगे।
एक हफ्ते बाद 19 मई को केंद्र सरकार ने अध्यादेश लाकर इस फैसले को बदल दिया और ट्रांसफर-पोस्टिंग का अधिकार राज्यपाल को दे दिया।दिल्ली सर्विस बिल 3 अगस्त को लोकसभा में पास हुआ था। 9 अगस्त को इसे राज्यसभा में पेश किया गया। वोटिंग में पक्ष में 131 और विपक्ष में 102 वोट पड़े और बिल पास हो गया।
इस कानून (Delhi Services Act 2023)में स्पष्ट किया गया कि ‘उपराज्यपाल’ का अर्थ है राष्ट्रपति द्वारा राष्ट्रीय राजधानी क्षेत्र दिल्ली के लिए संविधान के अनुच्छेद 239 के तहत नियुक्त प्रशासक है। अब राष्ट्रीय राजधानी के अधिकारियों का निलंबन और पूछताछ केंद्र सरकार ही कर सकेगी। इसके साथ ही यह साफ हो गया कि अधिकारियों पर दिल्ली सरकार का कोई नियंत्रण नहीं होगा।
Government of India issues gazette notification on Government of National Capital Territory of Delhi (Amendment) Act, 2023. pic.twitter.com/dNcUFQPQOh
— ANI (@ANI) August 12, 2023