उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh) में 26 साल पुराने कोयला व्यवसायी नंद किशोर रूंगटा के भाई महावीर प्रसाद रूंगटा को धमकी देने के मामले में शुक्रवार को कोर्ट ने मुख्तार अंसारी ( Mukhtar Ansari ) को दोषी करार दिया। वाराणसी के एमपी-एमएलए कोर्ट के पीठासीन अधिकारी उज्जवल उपाध्याय ने मुख्तार अंसारी को साढ़े पांच साल की सजा सुनाई। साथ ही 10 हजार का जुर्माना भी लगाया।
पूर्व विधायक मुख्तार अंसारी ( Mukhtar Ansari ) बांदा जेल में उम्रकैद की सजा काट रहा है। उसके खिलाफ वाराणसी और गाजीपुर समेत 40 मुकदमों में सुनवाई चल रही है। ज्यादातर केस ट्रायल पर हैं और जजमेंट की ओर बढ़ रहे हैं। मुख्तार को अब तक कुल 7 केस में सजा सुनाई जा चुकी है।
भेलूपुर के जवाहर नगर एक्सटेंशन कालोनी निवासी कोयला व्यवसायी नंद किशोर रूंगटा का 22 जनवरी 1997 को अपहरण कर लिया गया था। इस वारदात के पीछे उसकी मंशा चुनाव लड़ने के लिए पैसे का इंतजाम करना था।
तीन करोड़ की फिरौती के लिए मुख्तार ने अपने गुर्गे पांच लाख के इनामी अताउर रहमान उर्फ बाबू उर्फ सिकंदर को इस किडनैपिंग की जिम्मेदारी सौंपी थी। गाजीपुर के मोहम्मदाबाद थानांतर्गत महरुपुर गांव निवासी अताउर रहमान हजारीबाग का कोयला कारोबारी विजय बनकर रूंगटा के घर गया था।
घर में बिजनेस डील को लेकर बातचीत के दौरान इनामी बाबू चाय पीने व दस्तावेज दिखाने के बहाने उन्हें घर से बाहर ले गया। इस दौरान कार में बैठाकर कुछ देर तक उसने नंद किशोर रूंगटा को घुमाया। कोयला कारोबार से जुड़े फर्जी दस्तावेज भी दिखाए। इसके बाद चाय पिलाई। चाय में नशीला पदार्थ मिला होने के कारण नंद किशोर सुधबुध खो बैठे।
इसके बाद 22 जनवरी 1997 को उनके घर फोन कर परिवारीजन को उनके अपहरण की जानकारी देते हुए तीन करोड़ रुपए मांगे। पुलिस सूत्रों के मुताबिक इसमें एक करोड़ की पहली किश्त दे भी दी गई लेकिन रुंगटा का फिर भी कुछ पता नहीं लग सका।
पांच नवंबर 1997 की शाम में नंद किशोर रुंगटा के भाई महावीर प्रसाद रूंगटा के लैंडलाइन फोन पर धमकी दी गई कि अपहरण कांड में पुलिस और CBI में पैरवी न करें, नहीं तो बम से उसे उड़ा दिया जाएगा। इस मामले में एक दिसंबर 1997 को भेलूपुर थाने में मुख्तार अंसारी ( Mukhtar Ansari ) के खिलाफ धमकाने का मुकदमा दर्ज किया गया था।
कहा जाता है कि फिरौती की पहली किश्त मिलने से पहले ही रूंगटा की हत्या कर शव को प्रयागराज में ठिकाने लगा दिया गया था। इसके बाद अताउर रहमान उर्फ बाबू भाग कर नेपाल चला गया। इस मामले की सीबीआइ जांच भी हुई थी, लेकिन अताउर रहमान उनके हाथ नहीं लगा। मुख्तार ने नेपाल से उसे बुलाकर विधायक कृष्णानंद राय की हत्या में भी लगाया। अताउर रहमान ने ही सभी शूटरों का इंतजाम किया था। उसके पाकिस्तान व दुबई में शरण लेने को लेकर कयास लगते रहे हैं।