मध्यप्रदेश ( Madhya Pradesh ) के मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव (Mohan Yadav) ने सिंगरौली(Singrauli )में महिला कर्मचारी से जूते के फीते बंधवाने वाले एसडीएम ( SDM )को हटाने के निर्देश दिए हैं। अयोध्या में रामलला की प्राण-प्रतिष्ठा के दिन सिंगरौली के हनुमान मंदिर में एक कार्यक्रम आयोजित हुआ था। इस दौरान एसडीएम असवन राम चिरावन को एक महिला कर्मचारी ने जूते पहनाए थे। इसका फोटो वायरल होने के बाद मुख्यमंत्री ने सख्त फैसला लिया है।
मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि सिंगरौली(Singrauli ) जिले के चितरंगी में एसडीएम द्वारा एक महिला से उनके जूते के फीते बंधवाने का मामला सामने आया है, जो अत्यंत निंदनीय है। इस घटनाक्रम को लेकर एसडीएम को तत्काल हटाने के निर्देश दिए हैं। हमारी सरकार में नारी सम्मान सर्वोपरि है। इस मामले में फोटो वायरल होने के बाद महिला कर्मचारी और एसडीएम का स्पष्टीकरण भी आया था।
22 जनवरी को चितरंगी उत्कृष्ट विद्यालय में राज्य मंत्री राधा सिंह के मौजूदगी में जब श्री राम भगवान के प्राण प्रतिष्ठा के उत्सव का कार्यक्रम चल रहा था। उक्त फोटो उसी समय की है जो सोशल मीडिया पर वायरल हो रही। जूते पहनाने वाली महिला कर्मचारी एसडीएम की विभागीय लिपिक बताई जा रही है ।
सिंगरौली एसडीएम (Singrauli SDM )असवन राम चिरावन ने कहा था कि मेरे पैर में कुछ दिन पहले चोट लगी थी, जिससे मेरे घुटने मुड़ नहीं रहे थे। 22 जनवरी को राम प्राण प्रतिष्ठा के कार्यक्रम के लिए मैंने मौके पर अपने जूते खोले थे। कार्यक्रम के बाद जूते पहन लिए थे, पर उसके लेस खुले थे। मुझे बाद में पता चला कि महिला कर्मचारी ने जूते के लेस बांधे हैं। जूते पहनाने वाली महिला का कहना है कि साहब के पैर में चोट लगी थी। मैंने स्वेच्छा से उनके जूते के लेस बांधे थे ताकि वो कहीं गिर न जाएं। मुझे ऐसा करने के लिए किसी ने नहीं कहा था।
भोपाल में आयोजित कार्यक्रम में मुख्यमंत्री डॉ. मोहन यादव ने कहा कि चितरंगी एसडीएम ( SDM )और महिला की बातें सामने आई हैं। एसडीएम बीमार है और कर्मचारी ने यह सोचकर मदद की तो यह उनकी व्यक्तिगत बात हो सकती है। सार्वजनिक तौर पर यह होता है तो लोगों के सामने क्या तस्वीर जाएगी? उनसे कौन पूछने जाएगा कि वह बीमार हैं या नहीं? इसका इम्पेक्ट तो समाज पर सीधा आएगा। बीमार हैं तो छुट्टी पर चले जाते। उन्हें किसने रोका था? हम तो अपने कार्यक्रम की शुरुआत बहनों की पूजा से करते हैं। माता-बहनों की इज्जत करना हमारा काम है। हम कैसे बर्दाश्त कर सकते हैं? आप अपनी हरकत को जस्टिफाई नहीं कर सकते। यह न्यायसंगत नहीं है। हम उन्हें सस्पेंड नहीं कर रहे लेकिन वहां से तो हटा ही देंगे। अगली बार आपको समझ आ जाएगा कि क्या करना है।