मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ( Yogi Adityanath ) की सरकार ने सहायता प्राप्त अशासकीय महाविद्यालयों में कार्यरत शिक्षकों के परिवारों को बड़ी राहत दी है। सरकार ने तय किया है कि सेवा के दौरान 60 वर्ष की उम्र पूरी होने से पहले मृत्यु होने से पहले शिक्षक के निधन पर उनके परिवार को मृत्यु उपदान (Death gratuity) दिया जाएगा।
प्रदेश सरकार ने सहायता प्राप्त अशासकीय (एडेड) महाविद्यालयों के मृतक शिक्षकों के परिजनों को बड़ी राहत दी है। सेवाकाल में मृत्यु होने की स्थिति में शिक्षकों के परिजनों को मृत्यु उपादान (Death gratuity) का भुगतान शासनादेश के अनुरूप किया जाएगा। कैबिनेट की हरी झंडी के बाद इस संबंध में उच्च शिक्षा विभाग ने शासनादेश जारी कर दिया है।
यह शिक्षक परिवार के लिए बड़ी राहत है। जनवरी 2024 से पहले सेवारत जिन शिक्षकों की मृत्यु हुई थी, उनके परिवार को 20 लाख और एक जनवरी 2024 के बाद सेवारत जिन शिक्षकों का निधन हुआ था, उनके परिवार को 25 लाख रुपये की ग्रेच्युटी (Death gratuity) मिल सकती है।
उच्च शिक्षा मंत्री योगेंद्र उपाध्याय ने बताया कि एडेड महाविद्यालयों के ऐसे शिक्षक जिन्होंने सेवानिवृत्ति का विकल्प नहीं दिया था और उनकी मृत्यु 58 वर्ष की आयु से पहले हो गई तथा वे शिक्षक जिन्होंने 60 वर्ष पर सेवानिवृत्ति का विकल्प भरा था, किंतु विकल्प परिवर्तन की निर्धारित अवधि से पहले ही उनका निधन हो गया। इन मामलों में उनके परिजनों को डेथ ग्रेच्युटी दिए जाने का निर्णय लिया है।
उन्होंने बताया कि 03 फरवरी 2004 के बाद के उन मामलों में भी डेथ ग्रेच्युटी (Death gratuity)जाएगी, जिनमें शिक्षकों ने सेवानिवृत्ति का विकल्प नहीं चुना और 60 वर्ष की आयु से पहले निधन हो गया। ऐसे शिक्षक जिन्होंने 62 साल पर सेवानिवृत्ति का विकल्प भरा, मगर विकल्प परिवर्तन की निर्धारित अवधि से पहले ही उनका निधन हुआ।
सरकार का यह कदम न केवल मृतक शिक्षकों के परिवारीजन को आर्थिक सहायता प्रदान करेगा, बल्कि राज्य सरकार की मानवीय और सहयोगी सोच का भी परिचायक है। इस फैसले से उन शिक्षकों के परिवारों को भी लाभ मिलेगा, जिन्होंने सेवा विस्तार यानी रिटायरमेंट की उम्र बढ़ाने का विकल्प चुना था, लेकिन विकल्प बदलने की तय समय-सीमा से पहले ही उनका निधन हो गया। अभी तक ऐसी स्थिति में कोई सहायता नहीं दी जाती थी। इसकी मांग काफी समय से शिक्षक संगठन कर रहे थे।