देश के उप राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar ) तथा महाराष्ट्र विधान परिषद के अध्यक्ष की आगरा यात्रा के दौरान सुरक्षा इंतजामों में गंभीर चूक का मामला उजागर हुआ है। जिस एयरफोर्स स्टेशन को सर्वाधिक संवेदनशील क्षेत्र माना जाता है, वहाँ तीन अनधिकृत व्यक्ति सुरक्षा घेरे को पार कर भीतर पहुँच गए। यह घटना रक्षा प्रतिष्ठानों की सुरक्षा और वीवीआईपी प्रोटेक्शन में एक बहुत बड़ी चूक मानी जा रही है।
1 जून को निर्धारित कार्यक्रम के अनुसार उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़(Vice President Jagdeep Dhankhar ) का आगमन और प्रस्थान आगरा एयरफोर्स स्टेशन (टेक्निकल एरिया) से होना था। आगरा के जनप्रतिनिधियों की सीमित सूची उप-राष्ट्रपति सचिवालय द्वारा पूर्व में अनुमोदित की गई थी। इसके बावजूद, संजय अरोड़ा, रोहित कटयाल और सोनू कक्कड़ नामक तीन व्यक्ति, जिनके नाम सूची में नहीं थे, सुरक्षा घेरे में प्रवेश कर गए।
उपराष्ट्रपति जगदीप धनखड़ (Vice President Jagdeep Dhankhar )रविवार को अपनी पत्नी के साथ आगरा में आयोजित अहिल्याबाई होल्कर की 300वीं जयंती समारोह में शामिल होने आए थे। उनकी सुरक्षा के लिए विशेष इंतजाम किए गए थे। एयरपोर्ट पर उनकी अगवानी और विदाई के लिए जो लोग शामिल होंगे, इसकी लिस्ट भी तैयार कर उपराष्ट्रपति कार्यालय को भेजी गई थी।
सुरक्षा अधिकारियों को यह स्पष्ट जानकारी दी गई थी कि केवल सूचीबद्ध प्रतिनिधियों को ही अनुमति दी जाए। सहायक प्रोटोकॉल अधिकारी सचिन सिंह ने सुरक्षा प्रभारी अमर सिंह को स्पष्ट निर्देश दिए थे। इसके बावजूद इस तरह की घुसपैठ का होना, इस बात का संकेत है कि या तो आदेशों को नजरअंदाज किया गया या भीतर से मिलीभगत की आशंका से इनकार नहीं किया जा सकता।
उप राष्ट्रपति कार्यालय की ओर से आगरा प्रशासन से जानकारी मांगी गई है। इसको लेकर एडीएम प्रोटोकॉल की ओर से एयरफोर्स के अधिकारियों से जानकारी मांगी गई है कि कैसे लिस्ट में नाम न होने के बावजूद ये लोग टेक्निकल एरिया तक पहुंच गए।
एयरफोर्स स्टेशन जैसे उच्च-संवेदनशील परिसर में प्रवेश केवल तभी संभव होता है जब—
व्यक्ति का नाम सुरक्षा मंजूरी सूची में हो,
उनके पास वैध पहचान और अनुमति पत्र हो,
सुरक्षा जांच के सभी चरण पूरे किए गए हों।
लेकिन इन तीनों व्यक्तियों ने इन नियमों की अनदेखी कर न केवल परिसर में प्रवेश किया, बल्कि उप-राष्ट्रपति के निकट पहुँचकर फोटोग्राफ भी खिंचवाई, जिससे सुरक्षा एजेंसियों की सतर्कता पर प्रश्नचिन्ह लग गया।
घटना के सामने आते ही उप-राष्ट्रपति सचिवालय ने कड़ा रुख अपनाया है। उन्होंने आगरा प्रशासन से सीसीटीवी फुटेज सहित विस्तृत जाँच रिपोर्ट तत्काल उपलब्ध कराने के निर्देश दिए हैं। उच्च स्तरीय जांच शुरू हो चुकी है और संबंधित अधिकारियों से जवाब-तलब किया जा रहा है।
सूत्रों का कहना है कि यह घटना “लापरवाही” नहीं, बल्कि सुरक्षा प्रक्रियाओं के खुले उल्लंघन का मामला है। जिम्मेदार अधिकारियों की भूमिका को लेकर अंदरूनी अनुशासनात्मक कार्रवाई भी हो सकती है।
इस गंभीर चूक पर सिविल सोसाइटी भी बेहद चिंतित है। सिविल सोसाइटी के वरिष्ठ सदस्य दीपक प्रह्लाद अग्रवाल ने घटना की निंदा करते हुए कहा: “हमारे यहां समस्या यह है कि नियमावली उपलब्ध है, परंतु नियमों के उल्लंघन पर त्वरित एवं उचित कार्यवाही का ना होना उस अपराध की पुनरावृत्ति हेतु प्रेरक होता है। अति विशिष्ट व्यक्तियों के साथ फोटो खिंचवाना अपराध नहीं है, परंतु सुरक्षा घेरे में बिना अनुमति एवं अधिकार के पहुंचना अवश्य दंडनीय व्यवहार है। तीनों अनाधिकृत व्यक्तियों की पहचान हो चुकी है, अब कार्यवाही प्रशासन के ऊपर निर्भर करती है।”
विशेषज्ञों का मानना है कि यदि ऐसी घटनाओं पर कठोर कार्रवाई नहीं हुई, तो इससे अपराधियों को मनोबल मिलेगा और अगली बार यह चूक जानलेवा भी हो सकती है।क्या यह केवल फोटो खिंचवाने की कोशिश थी, या किसी संभावित खतरे का पूर्व संकेत?क्या किसी अधिकारी ने दबाव में आकर यह प्रवेश अनुमति दी?और सबसे अहम — क्या प्रशासन दोषियों को पहचान कर उन पर कठोर कार्रवाई करेगा?ये सवाल अब जनता और जिम्मेदार संस्थाओं के सामने हैं।