सुप्रीम कोर्ट ( Supreme Court ) ने मंगलवार को दहेज हत्या ( Dowry death) के आरोपी को पुलिस के सामने सरेंडर से छूट देने से इनकार कर दिया। आरोपी ने कोर्ट के सामने दलील दी थी कि वो ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा था। आरोपी ने कहा- मैं 20 साल से राष्ट्रीय राइफल्स में ब्लैककैट कमांडो हूं।
जस्टिस उज्ज्वल भुइयां और जस्टिस विनोद चंद्रन की बेंच ने कहा, “आप ऑपरेशन सिंदूर का हिस्सा थे, इससे आपको घर पर अत्याचार करने की आजादी नहीं मिल जाती है। आप देखिए कि फिजिकली कितने फिट हैं, ये दिखा रहा है कि आपने अपनी पत्नी का गला घोंट दिया हो, उसे मार डाला हो।”
याचिकाकर्ता की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता विक्रम चौधरी ने कहा कि व्यक्ति ने ऑपरेशन सिंदूर में भाग लिया था। उन्होंने कहा, ‘‘पिछले 20 वर्ष से मैं राष्ट्रीय राइफल्स में ब्लैक कैट कमांडो के रूप में तैनात हूं।’’ तब पीठ ने कहा, ‘‘इससे आपको घर पर अत्याचार करने की छूट नहीं मिल जाती है। यह दर्शाता है कि आप शारीरिक रूप से कितने फिट हैं, और आप अकेले किस तरह से अपनी पत्नी को मार सकते थे, अपनी पत्नी का गला घोंट सकते थे।’’
भारत ने 22 अप्रैल को हुए पहलगाम हमले का बदला लिया था। 6-7 मई की रात 1:05 बजे पाकिस्तान और PoK में एयर स्ट्राइक की थी। इसे ऑपरेशन सिंदूर नाम दिया गया।
पीठ ने कहा कि याचिकाकर्ता को गंभीर अपराध के लिए दोषी ठहराया गया था, इसलिए उसे छूट देने के लिए यह उपयुक्त मामला नहीं है। हालांकि, शीर्ष अदालत ने मामले में नोटिस जारी किया और प्रतिवादियों से छह सप्ताह में जवाब मांगा। जुलाई 2004 में अमृतसर की एक निचली अदालत ने याचिकाकर्ता बलजिंदर सिंह को उसकी शादी के दो साल के भीतर अपनी पत्नी की मौत के लिए भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 304-बी ( Dowry death) के तहत दोषी ठहराया था। पुलिस ने आरोप लगाया कि महिला को दहेज के लिए उसके ससुराल में उत्पीड़न और क्रूरता का सामना करना पड़ा।
सुप्रीम कोर्ट ने दहेज हत्या ( Dowry death) के 20 साल पुराने इस केस में फैसला सुनाया है। 2004 में आरोपी बलजिंदर को अमृतसर की ट्रायल कोर्ट ने दोषी करार दिया था। इसके खिलाफ बलजिंदर ने हाईकोर्ट में अपील की थी। बलजिंदर ट्रायल कोर्ट के आदेश पर सजा काट रहा था। इस दौरान हाईकोर्ट ने इस आधार पर सजा पर रोक लगा दी थी, क्योंकि आरोपी 3 साल से ज्यादा जेल काट चुका था। दूसरी बात हाईकोर्ट में बलजिंदर की अपील भी पेंडिंग थी।
करीब 20 साल बाद मई 2025 में हाईकोर्ट ने बलजिंदर की 10 साल की सजा को बरकरार रखा। फैसले के खिलाफ बलजिंदर सुप्रीम कोर्ट गया। सुप्रीम कोर्ट ने पुलिस के सामने समर्पण से छूट देने से इनकार कर दिया और सरेंडर के लिए 2 हफ्ते का वक्त दिया।अब जब सुप्रीम कोर्ट ने भी सजा को बरकरार रखा है और आरोपी को सरेंडर करने को कहा। तो ऐसे में संभव है कि बलजिंदर को अब सेना की नौकरी से निकाल दिया जाए।