बिहार की औद्योगिक व सांस्कृतिक राजधानी के रूप में मशहूर बेगूसराय इस बार देश की हॉट सीट बनी हुयी है। यह ऐसी सीट है जिसने हर दल के प्रत्याशी को मौका दिया है।
लोकसभा चुनाव-2019 में इस सीट की रोमांचक लड़ाई पर मीडिया से लेकर देश-दुनिया की नजरें टिकी हैं। बड़ी बड़ी फिल्मी हस्तियां यहां पर चुनाव प्रचार में उतरी हैं। यहां के चुनाव में जेएनयू के छात्र नेता कन्हैया कुमार जिन पर देशद्रोह का मुकद्मा चल रहा है, उनके सीपीआई से चुनाव लड़ने के कारण यह सीट और ज्यादा चर्चा में है। बेगूसराय में बिहार के महागठबंधन, वामपंथियों और एनडीए की ताकत का इस सीट पर फैसला होना है। भाजपा के फायर ब्रांड नेता व केंद्रीय मंत्री गिरिराज सिंह एनडीए के प्रत्याशी हैं। सीपीआई ने अपनी इस पुरानी जमीन पर नौजवान कन्हैया कुमार पर दांव खेला है जबकि राजद ने पुराने लड़ाके तनवीर हसन को मैदान में उतारा है।
गिरिराज और कन्हैया दोनों ही भूमिहार समाज से आते हैं। केंद्र व सूबे की राजनीति में अपने विवादित बयानों से सुर्खियां बटोरने वाले गिरिराज सिंह वर्तमान में नवादा से सांसद हैं। साथ ही केंद्र की सरकार में एमएसएमई विभाग के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) की भूमिका में हैं। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के कटु आलोचक एंव बिहार की बेगूसराय लोकसभा सीट से भाकपा उम्मीदवार कन्हैया कुमार के जोरदार प्रचार अभियान ने उन्हें बेगूसराय में चुनावी संघर्ष के केंद्र में लाकर खड़ा कर दिया है, लेकिन कुछ लोगों का मानना है कि कन्हैया का यह बढ़ता ग्राफ सत्तारूढ़ भाजपा से कहीं ज्यादा राजद के लिए खतरा बन रहा है।
सात विधानसभा सीटों वाली इस लोकसभा सीट पर 19 लाख 58 हजार 382 मतदाता 29 अप्रैल को बिहार की सबसे कॉंटेदार सीट पर फैसला करेंगे। जातीय गणित में उलझी इस लोकसभा सीट पर सबसे ज्यादा भूमिहार मतदाता हैं जिनके दम पर सीपीआई के कन्हैया कुमार और भाजपा सरकार में मंत्री गिरिराज सिंह चुनाव मैदान में हैं।
यहां के सत्ता संग्राम में जेएनयू कांड में राष्ट्रदोह का आरोप झेल रहे जेएनयू छात्र संघ के पूर्व अध्यक्ष रहे कन्हैया कुमार को सीपीआई ने प्रत्याशी बनाकर राजनीतिक सरगर्मी बढ़ा दी है। कन्हैया एक अच्छे वक्ता हैं। राष्ट्रीय स्तर उनकी इसी रूप में एक पहचान है, उनके समर्थन में देशभर के कलाकार, बुद्धिजीवी और एक्टिविस्टों के इन दिनों बेगूसराय में मजमा लगा है।