उत्तर प्रदेश में लोकसभा चुनाव के चौथे चरण में प्रदेश की 13 लोकसभा सीटों पर सोमवार को मतदाताओं का उत्साह पिछले तीन चरणों के मुकाबले कमजोर रहा। सोशल मीडिया के जाल में फंसे रहने वाले शहरी क्षेत्रों के मतदान केंद्रों पर मतदाताओं की बेरूखी ने सभी को चौंका दिया है। अब चौथे चरण में मतदाताओं की बेरूखी उत्तर प्रदेश में सियासी दलों में खलबली मचा दी है।
मतदान का बढ़ना या घटने के पीछे कोई न कोई सियासी संकेत छिपा होता है। सोमवार को लोकसभा की 13 सीटों पर पिछले तीन चरणों की तुलना में मतदान में गिरावट के संकेतों का भी आकलन शुरू हो गया है। सभी सियासी दल इसके मायने तलाश रहे हैं। जिन 13 सीटों पर सोमवार को वोट पड़े हैं, उनमें वर्ष 2014 में भाजपा ने 12 और सपा ने कन्नौज की सीट जीती थी।
यदि लोकसभा चुनाव के पिछले तीन चरणों से तुलना करें तो सोमवार को चौथे चरण में लगभग 4 प्रतिशत कम मतदान हुआ है। पहले तीन चरणों में 26 सीटों पर कुल 62.50 प्रतिशत मतदान हुआ था, यानी पश्चिमी यूपी में पहले तीन चरणों की तुलना में चौथे चरण में सोमवार को मतदाताओं के उत्साह में कमी दिखायी पड़ रही है। सभी राजनीतिक दल मतदान के रूझान को अपने अनुकूल बता रहे हैं लेकिन वे इससे होने वाले नुकसान या फायदे की समीक्षा में जुट गये हैं।
2014 की तुलना में शाहजहांपुर (सुरक्षित) लोकसभा सीट में गिरावट आयी है। 2014 में 57.03 प्रतिशत की तुलना में इस बार 56.35 प्रतिशत वोट पड़े हैं। शाहजहांपुर में भाजपा ने अपनी मौजूदा सांसद व केंद्रीय राज्यमंत्री कृष्णाराज का टिकट काटकर अरूण कुमार सागर को उम्मीदवार बनाया था। बसपा से अमर चन्द्र जौहर और कांग्रेस से ब्रहम सहाय सागर मैदान में थे। झांसी में भी मतदान में लगभग 2 प्रतिशत की गिरावट है। हालांकि उन्नाव में 2 फीसदी मतदान बढ़ा है।