सनातन धर्म को बीमारी बताने वाले तमिलनाडु ( Tamil Nadu ) के मुख्यमंत्री एमके स्टालिन के बेटे उदयनिधि स्टालिन (Udhayanidhi Stalin)के खिलाफ 262 प्रतिष्ठित हस्तियों ने सुप्रीम कोर्ट के मुख्य न्यायाधीश डीवाई चंद्रचूड़ को पत्र लिखकर मामले में दखल देने का अनुरोध किया है।इनमें 14 जज, 130 ब्यूरोक्रेट्स और सेना के 118 रिटायर्ड अफसर शामिल हैं।
भारत की 262 प्रतिष्ठित हस्तियों ने मुख्य न्यायाधीश को पत्र लिखकर उदयनिधि स्टालिन (Udhayanidhi Stalin)के भाषण का स्वत संज्ञान लेने का अनुरोध किया है। उन्होंने कहा है कि उदयनिधि द्वारा दिया गया नफरत भरे भाषण से समाज में सांप्रदायिक हिंसा भड़क सकती है। इसलिए इस मामले का अदालत स्वत: संज्ञान ले।
पत्र में कहा गया है कि हम सभी लोग उदयनिधि स्टालिन द्वारा सनातन धर्म पर की गई टिप्पणियों से बहुत चिंतित हैं। देश के धर्मनिरपेक्ष चरित्र को बनाए रखने के लिए कार्रवाई की जरूरत है। पत्र में कहा गया है कि राज्य सरकार ने कार्रवाई करने से इनकार कर दिया है और कथित तौर पर अदालत के आदेशों की अवमानना की है। उसने कानून के शासन को मजाक बना दिया है।
जिन 62 शख्सियतों ने सीजेआई को पत्र लिखा है, उसमें तेलंगाना हाईकोर्ट के पूर्व मुख्य न्यायाधीश के श्रीधर राव, दिल्ली, झारखंड, राजस्थान, इलाहाबाद, पंजाब और हरियाणा, मध्य प्रदेश, उत्तराखंड और सिक्किम के पूर्व जज शामिल हैं। इसके साथ ही, पूर्व विदेश सचिव, यूपी के पूर्व डीजीपी, भारत सरकार के पूर्व सचिव, पूर्व रॉ प्रमुख, सीवीसी के पूर्व सचिव, पंजाब, यूपी और आंध्र प्रदेश के पूर्व मुख्य सचिव शामिल हैं।
पूर्व डिफेंस सेक्रेटरी और राज्यसभा के पूर्व महासचिव IAS योगेंद्र नारायण, भारत सरकार के पूर्व सेक्रेटरी IAS समीरेंद्र चटर्जी और IAS धनेंद्र कुमार, पूर्व रॉ चीफ IPS संजीव त्रिपाठी भी शामिल हैं।
उदयनिधि (Udhayanidhi Stalin)ने 2 सितंबर को सनातन धर्म की तुलना डेंगू, मलेरिया और कोरोना से की। उन्होंने कहा- मच्छर, डेंगू, फीवर, मलेरिया और कोरोना ये कुछ ऐसी चीजें हैं, जिनका केवल विरोध नहीं किया जा सकता, बल्कि उन्हें खत्म करना जरूरी होता है। सनातन धर्म भी ऐसा ही है।
लेटर लिखने की पहल दिल्ली हाईकोर्ट के पूर्व जज एसएन ढींगरा और शिपिंग सेक्रेटरी गोपाल कृष्ण ने की थी। इन्होंने हेटस्पीच रोकने और शांति-व्यवस्था संभालने के लिए विचार करने की मांग भी की है। लेटर में लिखा गया कि उदयनिधि स्टालिन ने भारत के एक बड़े हिस्से के खिलाफ नफरत फैलाने वाला भाषण दिया है।
संविधान में भारत एक धर्मनिरपेक्ष देश है इसलिए यह बयान सीधे तौर पर संविधान के खिलाफ है। इसके अलावा तमिलनाडु सरकार ने स्टालिन के खिलाफ कोई एक्शन नहीं लिया बल्कि उन्हें बचाने की कोशिश की। यह कानून का उल्लंघन है।
2021 में सुप्रीम कोर्ट ने राज्य सरकारों को नफरत फैलाने वाले भाषण या बयान पर तुरंत एक्शन लेने का ऑर्डर दिया था। लेटर में सुप्रीम कोर्ट के इस फैसले का हवाला दिया और लिखा कि तमिलनाडु सरकार ने एक्शन लेने में देरी की, यह सुप्रीम कोर्ट का अपमान है।
262 eminent personalities write a letter to Chief Justice of India, urge “suo moto cognisance of hate speech made by Udhayanidhi Stalin that could incite communal disharmony and sectarian violence”. pic.twitter.com/rnZtkfZMCq
— Press Trust of India (@PTI_News) September 5, 2023