आर्मी चीफ जनरल बिपिन रावत ने जम्मू-कश्मीर में सख्त पाबंदी की बात को सिरे से नकारा है। जनरल रावत ने सोमवार को चेन्नै में कहा कि जम्मू-कश्मीर में सख्त पाबंदी की बात आतंकियों द्वारा फैलाई जा रही है। उनकी कोशिश है कि वैश्विक स्तर पर वे यह साबित करें कि जम्मू कश्मीर के लोगों के साथ गलत व्यवहार हो रहा है। इसी आधार पर आतंकी डर का माहौल पैदा करने की कोशिश कर रहे हैं। सच्चाई यह है कि घाटी में हिंसा और हत्याओं की घटनाएं कम हो गई हैं और आतंकी कुछ नहीं कर पा रहे हैं।
आर्मी चीफ ने कहा कि आम जनता के लिए संचार के साधन उपलब्ध हैं लेकिन आतंकियों का कनेक्शन टूट गया है। पाकिस्तान में बैठे आतंकी घाटी के आतंकियों से कोई संपर्क नहीं कर पा रहे हैं। सुरक्षाबलों के पास भी पूरे इंतजाम हैं कि वे अपने परिवार से बात कर सकते हैं। कम्युनिकेशन में कोई रुकावट नहीं है। उन्होंने पाबंदी की बात से इनकार करते हुए कहा कि धीरे-धीरे चीजें सामान्य और आसान हो जाएंगी।
घाटी में हो रही आर्थिक गतविधियों के बारे में भी जनरल रावत ने विस्तार से चर्चा की। उन्होंने कहा कि घाटी से सेब, झेलम नदी से रेत और भट्टों से ईंट लदे ट्रक निकल रहे हैं और इन्हें देश के कई हिस्सों में भेजा जा रहा है। श्रीनगर से लगातार फ्लाइट्स का आवागमन बना हुआ है, यातायात से बाकी साधन भी चालू हैं। उन्होंने पूछा कि अगर पाबंदी होती तो यह सब कैसे संभव होता?
सेब के व्यापार के बारे में जनरल रावत ने कहा, ‘सेब के बगीचों में जाइए, वहां सेब तोड़कर पैक किए जा रहे हैं। इन्हें कौन तोड़ रहा है? कौन पैक कर रहा है और कौन ट्रकों में लोड कर रहा है? ट्रक चलाकर कौन ले जा रहा है? सैकड़ों ट्रक घाटी से निकलकर जा रहे हैं। अगर पाबंदी होती तो यह सब कैसे हो सकता था?’
जनरल रावत ने आगे कहा कि आतंकियों द्वारा डर पैदा करने की कोशिश हो रही है। आतंकी कश्मीर के लोगों और देश-दुनिया को झूठ बताना चाहते हैं कि लोगों के साथ ज्यादती हो रही है। कश्मीर में दुकानें बंद होने के बारे में उन्होंने कहा, ‘आतंकियों ने लोगों को दुकानें बंद रखने की धमकी दी है लेकिन लोग पिछले दरवाजे से काम कर रहे हैं। लोग जरूरी सामान खरीद भी रहे हैं।’
पाकिस्तान पर आतंकी गतिविधियों को बढ़ावा देने का आरोप लगाते हुए जनरल रावत ने कहा, ‘आतंकियों को घुसपैठ का मौका देने के लिए पड़ोसी देश ने सीजफायर का उल्लंघन कई बार किया है। हालांकि, इंटेलिजेंस इनपुट और तकनीकी मजबूती के चलते सीजफायर के दौरान सेना और आम लोगों को भी नुकसान से बचाया गया है। इसी तरीके से घाटी में हिंसा को भी रोकने में मदद मिल रही है।’