Monday, May 05, 2025

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#KulluDussehra 2020:भगवान रघुनाथ की रथयात्रा शुरू होने से अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा उत्सव का आगाज, 31 अक्टूबर तक चलेगा

  में कुल्लू का दशहरा (  Kullu ) पर्व परंपरा, रीति रिवाज और ऐतिहासिक दृष्टि से बहुत महत्व रखता है। ऐतिहासिक मैदान ढालपुर में इस बार चुनिंदा देवी-देवताओं के आगमन के बाद भगवान रघुनाथ की रथयात्रा शुरू हो गई। इसके साथ ही अंतर्राष्ट्रीय कुल्लू दशहरा (  Kullu ) उत्सव का आगाज हो गया है। यह उत्सव 31 अक्टूबर तक चलेगा। इस उत्सव के आगाज पर भगवान रघुनाथ अपनी पालकी में सुल्तानपुर स्थित अपने मंदिर से अपने हारियानों के साथ ढालपुर मैदान पहुंचा। जहां रथ को सजाया गया था। यहां देव रस्में निभाने के बाद जैसे ही साथ लगी पहाड़ी से भेखली यानि भुवनेश्वरी माता ने रथयात्रा को झंडी दिखाई तो वैसे ही रथयात्रा शुरू हुई।

वर्ष 1660 से शुरू हुए कुल्लू दशहरा महोत्सव  (  Kullu Dussehra ) के इतिहास में पहली बार कोरोना के चलते भगवान रघुनाथ की रथयात्रा में मात्र आठ देवी-देवता और 200 देवलुओं, कारकूनों और राज परिवार के सदस्यों ने भाग लिया। सात दिवसीय अंतरराष्ट्रीय कुल्लू दशहरे का रविवार को शुभारंभ रस्मी अंदाज में हुआ। शाम पांच बजे माता भेखली का इशारा होते ही रथयात्रा शुरू हुई। हर साल हजारों की संख्या में लोग और 300 के करीब देवी-देवता शिरकत करते थे।

इस बार न देव-मानस मिलन हुआ और न ही रथयात्रा में भव्यता नजर आई। हालांकि, आस्था के चलते ढालपुर और शहर में सैकड़ों की संख्या में श्रद्धालु पहुंच गए, लेकिन पुलिस-प्रशासन ने उन्हें बेरिकेड लगाकर आगे जाने से रोका। दोपहर तीन बजे पुलिस के कड़े पहरे में ढोल-नगाड़ों, नरसिंगों और शहनाई की स्वरलहरियों के साथ भगवान रघुनाथ पालकी में सवार होकर ढालपुर मैदान पहुंचे।
रथ पर विराजमान रघुनाथ के दाईं तरफ पीज के अधिष्ठाता देवता जमदग्नि ऋषि चले। इसके अलावा देवी हिडिंबा, बिजली महादेव, देवता आदी ब्रह्मा, लक्ष्मी नारायण, देवता गोहरी, त्रिपुरा सुंदरी और देवता धूमल ने रथयात्रा में शिकरत की। हालांकि दशहरे में इस बार कुल 11 देवी-देवता पहुंचे हैं। न्योता सात देवताओं को था, लेकिन ट्रैफिक के देवता धूमल नाग समेत चार और देवता समारोह में बिना बुलाए पहुंचे।
कोरोना के चलते इस बार मात्र देव परंपरा की रस्में ही निभाईं। रघुनाथ की यात्रा के दौरान ‘अठारह करडू की सौह’ जय श्रीराम के उद्घोष लगे। मान्यता है कि भगवान रघुनाथ का रथ खींचने से पापों से मुक्ति मिलती है। अगले छह दिन तक रोजाना दशहरे की परंपराएं निभाई जाएंगी।

विश्व विख्यात कुल्लू दशहरा  (  Kullu Dussehra ) उत्सव का इतिहास 360 वर्ष से अधिक पुराना है। इसका आयोजन 17 सदी में कुल्लू के राजा जगत सिंह के शासनकाल में शुरू हुआ था। भगवान रघुनाथजी के सम्मान में ही राजा जगत सिंह ने वर्ष 1660 में राजा ने सेवक बनकर कुल्लू में दशहरे की परंपरा को आरंभ किया था इसके बाद निरंतर आज तक इसका निर्वहन किया जाता है। भगवान रघुनाथ के आगमन से ही अंतरराष्ट्रीय पर्व की शुरूआत होती है। कुल्लू के 365 देवी-देवता भगवान रघुनाथ जी को अपना ईष्ट मानते हैं।

 

Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels