इलाहाबाद हाईकोर्ट ( Allahabad High Court ) ने उत्तर प्रदेश ( Uttar Pradesh) में जंगलराज होने की कथित टिप्पणी करने वाले एक व्यक्ति के खिलाफ दर्ज प्राथमिकी रद्द कर दी है। यशवंत सिंह नाम के व्यक्ति ने अपने ट्विटर एकाउंट से कथित तौर पर यह टिप्पणी की थी कि मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (Chief Minister Yogi Adityanath ) ने प्रदेश को जंगलराज में तब्दील कर दिया है और प्रदेश में कोई कानून व्यवस्था नहीं है।
यशवंत द्वारा दायर रिट याचिका पर सुनवाई करते हुए जस्टिस पंकज नकवी और जस्टिस विवेक अग्रवाल की पीठ ने कहा कि राज्य में कानून व्यवस्था पर एतराज करना हमारे जैसे संवैधानिक उदार लोकतंत्र की कसौटी है जिसे संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत संरक्षण मिला हुआ है।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ( Allahabad High Court )ने कहा कि प्राथमिकी में सूचना प्रौद्योगिकी अधिनियम की धारा 66-डी लगाई गई है जिसका विश्लेषण करने पर हमें इस धारा के तहत दूर-दूर तक कोई अपराध हुआ नहीं मिलता है। जहां तक भारतीय दंड संहिता की धारा 500 का संबंध है, इसके तहत भी कोई अपराध नहीं किया गया है क्योंकि कथित ट्वीट को बदनामी के कृत्य के दायरे में नहीं लाया जा सकता।
उल्लेखनीय है कि यशवंत सिंह के खिलाफ 2 अगस्त, 2020 को रामाबाई नगर जिले के भोगनीपुर पुलिस थाने में प्राथमिकी दर्ज की गई थी जिसमें पुलिस ने आरोप लगाया था कि सिंह ने अपहरण, फिरौती की मांग और हत्या की विभिन्न घटनाओं का अपने ट्वीट में हवाला दिया था।
इलाहाबाद हाईकोर्ट ( Allahabad High Court ) में याचिकाकर्ता के वकील ने दलील दी कि राज्य के मामलों पर टिप्पणी करने का अधिकार उसके मुवक्किल का संवैधानिक अधिकार है जो उसे भारत के संविधान के अनुच्छेद 19 के तहत प्राप्त है। महज विरोध प्रकट करना अपराध नहीं है।
अधिवक्ता ने कहा कि याचिकाकर्ता को पीड़ित करने के उद्देश्य से यह प्राथमिकी दर्ज की गई है, जिससे उसे राज्य सरकार के खिलाफ विरोध प्रकट करने से रोका जा सके। प्राथमिकी रद्द करने का आदेश 23 नवंबर, 2020 को पारित किया गया और इसे हाल ही में इलाहाबाद उच्च न्यायालय की वेबसाइट पर अपलोड किया गया।