प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ( PM Modi ) ने शुक्रवार को संविधान दिवस( Constitution Day )पर दिल्ली के विज्ञान भवन में आयोजित कार्यक्रम में कहा कि आजादी के बाद भी देश में गुलामी के दिनों की सोच मौजूद है। यह मानसिकता अनेक विकृतियों को जन्म दे रही है।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ( PM Modi ) ने शुक्रवार को खेद व्यक्त किया कि कुछ लोग राष्ट्र की आकांक्षाओं को समझे बिना अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर राष्ट्र के विकास को रोकते हैं।ऐसे सोच के लोग कभी बोलने की आजादी के नाम पर तो कभी किसी अन्य चीज का सहारा लेकर देश के विकास में रोड़ा अटका रहे हैं।
पर्यावरण संरक्षण के नाम पर विकास परियोजनाओं के ठप होने के संदर्भ में पीएम मोदी ने कहा, ‘पर्यावरण की चिंता अब राष्ट्र के विकास को रोकने के लिए उठाई जा रही है। भारत में हम पौधों और पेड़ों में भी भगवान को देखते हैं और मातृभूमि को भी भगवान के रूप में देखते हैं। इस देश को पर्यावरण संरक्षण पर व्याख्यान दिया जा रहा है। दुख की बात है कि हमारे देश में ऐसे लोग भी हैं जो अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के नाम पर राष्ट्र की आकांक्षाओं को समझे बिना राष्ट्र के विकास को रोकते हैं।’
प्रधानमंत्री मोदी ( PM Modi ) ने बताया कि कैसे सरदार वल्लभभाई पटेल ने नर्मदा नदी पर एक बांध का सपना देखा था और पंडित जवाहरलाल नेहरू ने इसकी आधारशिला रखी थी। लेकिन यह पर्यावरण प्रदूषण की चिंताओं के जाल में फंस गया। प्रधानमंत्री ने कहा कि लोगों की औपनिवेशिक मानसिकता देश को पीछे खींच रही है और इसे नष्ट करना होगा। उन्होंने कहा, ‘यह औपनिवेशिक मानसिकता है जो हमारे युवा भारत के सपनों और आकांक्षाओं का गला घोंटने के लिए जिम्मेदार है। हमें इस औपनिवेशिक मानसिकता को नष्ट करना होगा और इसके लिए हमें भारतीय संविधान पर भरोसा करना होगा।’
प्रधानमंत्री ने कहा- सुबह मैं विधायिका और कार्यपालिका के साथियों के साथ था। और अब न्यायपालिका से जुड़े आप सभी विद्वानों के बीच हूं। हमें गुलामी की मानसिकता और इनसे उत्पन्न विकृतियों को दूर करना ही होगा।
हम सभी की अलग-अलग भूमिकाएं, अलग-अलग जिम्मेदारियां, काम करने के तरीके भी अलग-अलग हो सकते हैं, लेकिन हमारी आस्था, प्रेरणा और ऊर्जा का स्रोत एक ही है- हमारा संविधान।
सरकार और न्यायपालिका, दोनों का ही जन्म संविधान की कोख से हुआ है। इसलिए, दोनों ही जुड़वां संतानें हैं। संविधान की वजह से ही ये दोनों अस्तित्व में आए हैं। इसलिए, व्यापक दृष्टिकोण से देखें तो अलग-अलग होने के बाद भी दोनों एक दूसरे के पूरक हैं।
आजादी के लिए जीने-मरने वाले लोगों ने जो सपने देखे थे, उन सपनों के प्रकाश में और हजारों साल की भारत की महान परंपरा को संजोए हुए हमारे संविधान निर्माताओं ने हमें संविधान दिया। सबका साथ-सबका विकास, सबका विश्वास-सबका प्रयास, ये संविधान की भावना का सबसे सशक्त उदाहरण है। संविधान के लिए समर्पित सरकार, विकास में भेद नहीं करती और ये हमने करके दिखाया है।
कोरोना काल में पिछले कई महीनों से 80 करोड़ से अधिक लोगों को मुफ्त अनाज सुनिश्चचित किया जा रहा है। पीएम गरीब कल्याण अन्न योजना पर सरकार 2 लाख 60 हजार करोड़ रुपए से अधिक खर्च करके गरीबों को मुफ्त अनाज दे रही है। अभी कल ही हमने इस योजना को अगले साल मार्च तक के लिए बढ़ा दिया है।
जब देश का सामान्य मानवी, देश का गरीब विकास की मुख्यधारा से जुड़ता है, जब उसे समान मौके मिलते हैं, तो उसकी दुनिया पूरी तरह बदल जाती है। जब रेहड़ी, पटरी वाले भी बैंक क्रेडिट की व्यवस्था से जुड़ता है, तो उसे राष्ट्र निर्माण में भागीदारी का एहसास होता है।
Addressing the Constitution Day programme at Vigyan Bhawan. https://t.co/xzmEhl5wzi
— Narendra Modi (@narendramodi) November 26, 2021