2 जून 2016 की उस काली तारीख को सुनकर आज भी मथुरा ( Mathura) के लोग सिहर उठते हैं। 2 जून 2016 को चर्चित जवाहर बाग( Jawahar Bagh )कांड हुआ था। जवाहर बाग पर अवैध कब्जा धारियों ने पुलिस और प्रशासन पर हमला किया और पूरे जवाहर बाग को अग्निकांड में बदल दिया था। खाली कराने गई पुलिस टीम पर हथियारों से हमला किया गया था। इस हमले में एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और इंस्पेक्टर संतोष यादव शहीद हुए थे और कई पुलिसकर्मी हमले में घायल हो गए थे। जवाहर बाग में आगजनी और हिंसक घटना ने तत्कालीन सपा सरकार को हिला कर रख दिया था। मामले में कई राजनेताओं पर रामबृक्ष यादव को संरक्षण देने के आरोप लगे थे।
मथुरा ( Mathura) के जवाहर बाग( Jawahar Bagh )हिंसा के दो जून को छह साल हो जाएंगे। हिंसा की आग में जले जवाहर बाग की सूरत और सीरत तो सरकार ने बदल दी, लेकिन अभी तक शहीद तत्कालीन एसपी सिटी और इंस्पेक्टर की प्रतिमाएं जवाहर बाग में नहीं लग सकीं। जबकि 25 जून 2021 को नगर निगम की कार्यकारिणी में शहीदों की प्रतिमाएं लगाने के प्रस्ताव पर मुहर तक लग चुकी है।
2 जून 2016 को जवाहर बाग को कब्जामुक्त कराते हुए तत्कालीन एसपी सिटी मुकुल द्विवेदी और इंसपेक्टर संतोष यादव समेत 29 लोगों की जान गई थी। भाजपा ने मथुरा ( Mathura) के जवाहर बाग को मुद्दा बनाकर तब सपा की सरकार को घेरा था। तब भाजपा के नेताओं ने शहीद पुलिस अफसरों के जवाहर बाग में स्मारक और प्रतिमाएं लगाने के लिए एलान भी किया था। सरकार ने जवाहर बाग को पिकनिक स्पॉट बनाने में करीब 14 करोड़ रुपये व्यय किए हैं।
शहीद मुकुल द्विवेदी की धर्मपत्नी अर्चना द्विवेदी का कहना है कि आज तक सम्मान नहीं मिल सका। प्रतिमाएं तो छोड़ो स्मारक स्थल भी नहीं बन सका है। जवाहर बाग को विकसित करने के लिए 14 करोड़ रुपये भी खर्च किए हैं। लेकिन अभी तक प्रतिमाएं नहीं लगीं हैं।