Sunday, May 19, 2024

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Karnataka:पादरी की मौत मामले में कर्नाटक हाईकोर्ट ने कहा- ‘जाओ फांसी लगा लो’, ऐसा कहना आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं

Statements such as ‘go hang yourself’ alone will not amount to abetment of suicide Karnataka High Court

(Karnataka High Court )ने चर्च के पादरी की आत्महत्या के मामले में अहम टिप्पणी की। अदालत ने कहा कि केवल ऐसा कहना कि ‘जाओ फांसी लगा लो’, आत्महत्या के लिए उकसाने का प्रयास नहीं माना जा सकता। अदालत  में जस्टिस एम नागप्रसन्ना ने विवादास्पद बयानों से जुड़े मामलों में आत्महत्या के लिए उकसाने की मंशा से जुड़े जटिल सवाल पर स्पष्ट किया कि जाओ फांसी लगा लो जैसा बयान फांसी के लिए उकसाने की श्रेणी में नहीं रखा जा सकता।

 ( )  के इस मामले में याचिकाकर्ता पर आरोप है कि उसने उसकी पत्नी के साथ कथित संबंधों को लेकर उडुपी  के पास एक चर्च के एक पादरी से आक्रामक बहस की। खबर के मुताबिक पादरी के साथ आक्रामक बहस के दौरान उसने आवेश में पादरी से पीछा छुड़ाने के लिए ‘जाओ फांसी लगा लो’ जैसे कथन का इस्तेमाल कर डाला। बचाव पक्ष के वकील ने कहा कि पादरी ने केवल उनके मुवक्किल के कहने पर ही आत्महत्या जैसा कदम उठाया। ऐसा नहीं माना जा सकता। वकील ने अदालत से कहा कि ‘जाओ फांसी लगा लो’ जैसे कथन का इस्तेमाल बीवी के अफेयर की जानकारी मिलने पर गुस्से और हताशा के कारण हुआ।

बचाव पक्ष ने अदालत में कहा कि पादरी इस बात से डरा हुआ था कि उसके प्रेम-प्रसंग की बात सार्वजनिक होते ही उसकी प्रतिष्ठा मिट्टी में मिल जाएगी। इस कारण उसने मौत को गले लगाने जैसा खौफनाक कदम उठाया। न कि केवल उनके मुवक्किल के ‘जाओ फांसी लगा लो’ कहने पर। बचाव पक्ष का कड़ा विरोध करते हुए पादरी के वकील ने कहा कि उन्हें अफेयर का भंडाफोड़ कर बदनाम करने की धमकी भी दी गई। इस कारण उनके मुवक्किल को आत्महत्या जैसा कदम उठाने पर मजबूर होना पड़ा।

दलीलों को सुनने के बाद कर्नाटक हाईकोर्ट(Karnataka High Court ) की एकल पीठ ने कहा कि केवल ऐसे बयान को आत्महत्या के लिए उकसाना नहीं माना जा सकता। हाईकोर्ट की एकल पीठ ने सुप्रीम कोर्ट की तरफ से तय मानकों और पूर्व में सुनाए गए फैसलों का जिक्र करते हुए अपना फैसला सुनाया। कर्नाटक हाईकोर्ट(Karnataka High Court ) के जस्टिस नागप्रसन्ना ने पादरी के रूप में सम्मानजनक भूमिका के बावजूद उनके कथित अवैध संबंधों का जिक्र करते हुए मानव मनोविज्ञान की जटिलताओं को रेखांकित किया। अदालत ने साफ किया कि इंसान के मन को समझना बेहद जटिल और चुनौतीपूर्ण है। तमाम तथ्यों का संज्ञान लेते हुए कोर्ट ने आरोपी के बयान- ‘जाओ फांसी लगा लो’ को आत्महत्या के लिए उकसाने वाले कथन के रूप में वर्गीकृत करने से इनकार कर दिया।

Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels

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