प्रवर्तन निदेशालय ने सुप्रीम कोर्ट में दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) की अंतरिम जमानत का विरोध किया है। ईडी ने केजरीवाल को जमानत मिलने से पहले अदालत में एक हलफनामा दायर किया। इसमें कहा गया है कि कानून सभी के लिए बराबर है और चुनाव प्रचार कोई मौलिक, संवैधानिक या कानूनी अधिकार नहीं है।
सुप्रीम कोर्ट में एफिडेविट ईडी के डिप्टी डायरेक्टर भानु प्रिया ने दाखिल किया। कल यानी शुक्रवार को सुप्रीम कोर्ट केजरीवाल की जमानत पर फैसला सुनाएगा। दिल्ली शराब नीति केस में केजरीवाल अभी ज्यूडिशियल कस्टडी में हैं। जमानत के लिए अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) सुप्रीम कोर्ट गए हैं।
प्रवर्तन निदेशालय ने अपने हलफनामे में कहा कि किसी भी नेता को चुनाव प्रचार के लिए जमानत नहीं दी गई है। इस तरह अपनी पार्टी के उम्मीदवारों के लिए प्रचार करने के लिए केजरीवाल को जमानत देना एक गलत मिसाल कायम करेगा। ईडी का कहना है कि कोई भी राजनेता किसी विशेष दर्जे का दावा नहीं कर सकते हैं और अपराध करने पर नेताओं को भी अन्य नागरिकों की तरह ही गिरफ्तार किया जा सकता है। जांच एजेंसी ने अपने हलफनामे में आगे कहा है कि केवल चुनाव प्रचार अभियान के लिए केजरीवाल को अंतरिम जमानत देना समानता के नियम के खिलाफ होगा।
इससे पहले मंगलवार को एक याचिका पर सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने कहा था कि अरविंद केजरीवाल (Arvind Kejriwal) एक चुने हुए मुख्यमंत्री हैं और आदतन अपराधी नहीं हैं। अदालत ने कहा था कि चुनाव सिर पर हैं और ये दिल्ली के मुख्यमंत्री के लिए असाधारण परिस्थितियां हैं।
पिछली सुनवाई यानी 2 मई को सुप्रीम कोर्ट ने ED से कहा था कि चुनाव 5 साल में आते हैं, ये असाधारण परिस्थिति है। कोर्ट ने कहा था कि अगर हम केजरीवाल को जमानत देते हैं तो हमारी शर्त रहेगी कि वे सरकार के काम में दखलंदाजी नहीं करेंगे।
वहीं, सूत्रोंं से मिली जानकारी के मुताबिक प्रवर्तन निदेशालय (ED) शुक्रवार को इस मामले में उनके खिलाफ चार्जशीट दाखिल करने जा रही है। यह पहली बार होगा, जब केजरीवाल का नाम चार्जशीट पर दाखिल होगा।ईडी अपनी चार्जशीट में केजरीवाल का नाम मुख्य साजिशकर्ता और किंगपिन के तौर पर दर्ज करने जा रही है। प्रवर्तन निदेशालय का दावा है कि उसने अरविंद केजरीवाल से जुड़े मनी ट्रेल का पता लगा लिया है।