प्रधानमत्री नरेंद्र मोदी (PM Modi ) ने रविवार को 17वें ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (BRICS Summit )को संबोधित करते हुए वैश्विक संस्थाओं में व्यापक सुधार की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि वैश्विक दक्षिण के हाशिए पर पड़े देशों और 21वीं सदी की चुनौतियों का प्रभावी समाधान किया जा सके। उन्होंने कहा कि वैश्विक दक्षिण अक्सर दोहरे मानकों का शिकार रहा है।प्रधानमंत्री मोदी ने कहा- आतंकवाद आज मानवता के लिए सबसे गंभीर चुनौती बन गया है।
शांति और सुरक्षा पर ब्रिक्स सत्र के दौरान प्रधानमंत्री ने कहा कि आतंकवाद आज मानवता के लिए सबसे गंभीर चुनौती बन गया है। हाल ही में भारत ने एक अमानवीय और कायरतापूर्ण आतंकवादी हमले का सामना किया।

उन्होंने कहा 22 अप्रैल को पहलगाम में हुआ आतंकवादी हमला भारत की आत्मा, पहचान और गरिमा पर सीधा हमला था। यह हमला न केवल भारत पर बल्कि पूरी मानवता पर आघात था। इस दुख की घड़ी में, मैं उन मित्र देशों का हृदय से आभार व्यक्त करता हूं जो हमारे साथ खड़े रहे, जिन्होंने समर्थन और संवेदना व्यक्त की।
आगे पीएम मोदी ने कहा कि आतंकवादियों के विरुद्ध प्रतिबंध लगाने में कोई हिचकिचाहट नहीं होनी चाहिए। आतंकवाद के पीड़ितों और समर्थकों को एक ही तराजू पर नहीं तौला जा सकता। व्यक्तिगत या राजनीतिक लाभ के लिए आतंकवाद को मौन सहमति देना, आतंक या आतंकवादियों का समर्थन करना, किसी भी स्थिति में स्वीकार्य नहीं होना चाहिए।
उन्होंने कहा कि आतंकवाद के संबंध में कथनी और करनी में कोई अंतर नहीं होना चाहिए। यदि हम ऐसा नहीं कर सकते, तो स्वाभाविक रूप से यह प्रश्न उठता है कि क्या हम आतंकवाद के विरुद्ध लड़ाई के प्रति गंभीर हैं या नहीं?
ब्रिक्स शिखर सम्मेलन (BRICS Summit ) में अपने संबोधन में प्रधानमंत्री ने वैश्विक दक्षिण के सामने मौजूद प्रणालीगत असमानताओं और अक्षमताओं को रेखांकित किया और बताया कि इस क्षेत्र के हितों को कभी प्राथमिकता नहीं दी गई है। उन्होंने कहा, वैश्विक दक्षिण अक्सर दोहरे मानकों का शिकार रहा है। चाहे विकास हो, संसाधनों का वितरण हो या सुरक्षा से जुड़े मुद्दे हों, वैश्विक दक्षिण के हितों को प्राथमिकता नहीं दी गई है। जलवायु वित्त, सतत विकास और तकनीकी की पहुंच जैसे मामलों में वैश्विक दक्षिण को केवल दिखावे के लिए कुछ ही मिला है।
प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि 20वीं सदी में बने वैश्विक संस्थानों में दुनिया की दो-तिहाई आबादी का ठीक से प्रतिनिधित्व नहीं है। जिन देशों का वैश्विक अर्थव्यवस्था में बड़ा योगदान है, उन्हें निर्णय प्रक्रिया में उचित स्थान नहीं मिला है, जिससे इन संस्थाओं की विश्वसनीयता और प्रभावशीलता प्रभावित हुई है।
उन्होंने कहा, बिना वैश्विक दक्षिण के ये संस्थाएं ऐसे हैं, जैसे मोबाइल जिसमें सिम तो है पर नेटवर्क नहीं। ये संस्थाएं 21वीं सदी की चुनौतियों से निपटने में असमर्थ हैं। चाहे दुनिया के विभिन्न हिस्सों में जारी संघर्ष हों, महामारी हो, आर्थिक संकट हो या साइबर और अंतरिक्ष के नए उभरते खतरे, इन संस्थाओं के पास समाधान नहीं हैं।
उन्होंने कहा, आज विश्व को एक नई बहु-ध्रुवीय और समावेशी विश्व व्यवस्था की आवश्यकता है। यह व्यापक सुधारों से शुरू होना चाहिए। सुधार केवल प्रतीकात्मक नहीं होने चाहिए, बल्कि उनका वास्तविक प्रभाव भी दिखना चाहिए। शासन के ढांचे, मतदान के अधिकारों और नेतृत्व के पदों में बदलाव होना चाहिए। वैश्विक दक्षिण के देशों की चुनौतियों को नीति निर्धारण में प्राथमिकता दी जानी चाहिए।
प्रधानमंत्री ने कहा, एआई के युग में जहां तकनीकी हर हफ्ते अपडेट होती है, यह स्वीकार्य नहीं है कि एक वैश्विक संस्था 80 साल में एक बार भी अपडेट न हो। 21वीं सदी का सॉफ्टवेयर 20वीं सदी के टाइपराइटर से नहीं चल सकता। प्रधानमंत्री ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, विश्व व्यापार संगठन और बहुपक्षीय विकास बैंकों जैसे संस्थानों के आधुनिकीकरण की तत्काल आवश्यकता पर जोर दिया, ताकि वे समकालीन वास्तविकताओं और उभरती चुनौतियों का प्रभावी समाधान कर सकें। प्रधानमंत्री मोदी ने ब्रिक्स के विस्तार को सुधार का एक मॉडल बताया और इसमें इंडोनेशिया को शामिल किए जाने का स्वागत किया और इस समूह की बदलती भूमिका को स्वीकार किया।
प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने ब्राजील, रूस, भारत, चीन समेत 11 देशों के संगठन ब्रिक्स में हो रहे बदलाव व इसमें नए सदस्यों को जोड़े जाने की पहल की भूरी-भूरी प्रशंसा करते हुए संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद, विश्व व्यापार संगठन व अन्य वैश्विक संस्थानों में भी इस तरह के बदलावों की मांग की है।
वहींं प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने एक्स पर एक पोस्ट में लिखा- ‘ब्राजील के रियो डी जेनेरियो में शिखर सम्मेलन(BRICS Summit ) में साथी ब्रिक्स नेताओं के साथ, निकट सहयोग और साझा विकास के लिए हमारी प्रतिबद्धता की पुष्टि करते हुए। ब्रिक्स में अधिक समावेशी और न्यायसंगत वैश्विक भविष्य को आकार देने की अपार क्षमता है।’
Brazil :पीएम मोदी ने ब्रिक्स शिखर सम्मेलन में वैश्विक संस्थानों में सुधार की उठाई मांग, बोले -वैश्विक संस्थाएं ऐसे फोन की तरह जिनमें सिम कार्ड तो है लेकिन नेटवर्क नहीं