भारत रत्न पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की पहली पुण्यतिथि पर उन्हें श्रद्धांजलि देने शुक्रवार को राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी सदैव अटल स्मारक पहुंचे। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह, भाजपा के कार्यकारी अध्यक्ष जेपी नड्डा समेत कई वरिष्ठ नेताओं ने भी वाजपेयी को श्रद्धांजलि दी। अटल जी की दत्तक पुत्री नमिता कौल भट्टाचार्य और पोती निहारिका ने भी स्मृति स्थल पहुंचकर उन्हें श्रद्धांजलि दी।
‘सदैव अटल’ समाधि के केंद्रीय मंच में चौकोर और काली पॉलिश वाले ग्रेनाइट के नौ ब्लॉक लगे हैं, जिसके केन्द्र में एक दीया रखा गया है – यह नौ की संख्या नवरसों,नवरात्रों और नवग्रहों का प्रतिनिधित्व करती है। नौ चौकोर पत्थरों की इस समाधि का मंच एक गोलाकार कमल के आकार में है। मंच तक चार प्रमुख दिशाओं से पहुंचा जा सकता है। इसके लिए सफेद मिश्रित टाइलों से मार्ग बनाये गए हैं ताकि फर्श गर्म न हो।
समाधि के निर्माण में देश के विभिन्न हिस्सों से लाए गए पत्थरों का उपयोग किया गया था। समाधि के केंद्र में बनाया गया दीया, खम्मम से प्राप्त लैदर फिनिश काले ग्रेनाइट पत्थर से बना है।
दीये की लौ क्रिस्टल में बनाई गई हैं जिसमें एलईडी लाइटें लगी हैं। अंदरूनी पंखुडियाँ और बाहरी पंखुडियॉं और पंखुडियों के बीच का स्थान जो बाहरी परिक्रमा का एक हिस्सा है, उसे क्रिस्टल येलो और नियो कॉपर ग्रेनाइट की रंग संरचना में रखा गया है।
अटल बिहारी वाजपेयी सबसे पहले 1996 में 13 दिन के लिए प्रधानमंत्री बने। बहुमत साबित नहीं कर पाने की वजह से उन्हें इस्तीफा देना पड़ा। दूसरी बार वे 1998 में प्रधानमंत्री बने। सहयोगी पार्टियों के समर्थन वापस लेने की वजह से 13 महीने बाद 1999 में फिर आम चुनाव हुए। 13 अक्टूबर 1999 को वे तीसरी बार प्रधानमंत्री बने। इस बार उन्होंने 2004 तक अपना कार्यकाल पूरा किया।
2014 के दिसंबर में अटलजी को भारत रत्न देने का ऐलान किया गया। मार्च 2015 में तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने प्रोटोकॉल तोड़ा और अटल जी को उनके घर जाकर भारत रत्न से सम्मानित किया।