उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने देश में पढ़ाए जाने वाले इतिहास पर सवाल उठाए हैं। पुणे में एक पुरस्कार समारोह के दौरान नायडू ने कहा कि भारत में लंबे समय तक औपनिवेशिक शासन रहने की वजह से हमारे इतिहास को गलत ढंग से सामने रखा गया। यह जानबूझकर किया गया, ताकि भारत की खराब छवि पेश की जा सके। बाहर से आने वाले जिन लोगों ने देश पर हमला किया, लूटा, धोखा दिया और बर्बाद किया, उनके बारे में हमें बताया जाता है कि वे महान थे।
वेंकैया ने कहा कि इतिहास में शिवाजी महाराज, बासवेश्वर, ज्ञानेश्वर, रानी लक्ष्मीबाई, शंकराचार्य के बारे में ज्यादा कुछ नहीं है। लोग कहते हैं कि भारत की जीडीपी एक समय 20% थी। भारत ने कभी किसी देश पर हमला नहीं किया। हम विश्व गुरु थे। लेकिन यह सब इतिहास हमारे सामने नहीं है। इसलिए मैं कहता हूं कि हमें देश का असल इतिहास लोगों के सामने रखना होगा। उपराष्ट्रपति ने कहा कि पुरातत्व विज्ञान में हमारे गलत इतिहास को सही करने की क्षमता है।
उपराष्ट्रपति वेंकैया नायडू ने कहा कि औपनिवेशिक शासन काल की वजह से हमारे इतिहास को काफी तोड़-मरोड़ कर पेश किया गया है, जिस कारण हमारा वास्तविक इतिहास हमारे सामने प्रस्तुत नहीं हो पाया। पुणे में एक कार्यक्रम में बोलते हुए उपराष्ट्रपति ने कहा कि मेरा मानना है कि पुरातत्व में इतिहास को फिर से बनाने और फिर से सही करने की जबरदस्त क्षमता है। औपनिवेशिक अतीत की वजह से हमारे इतिहास को बहुत ज्यादा तोड़ा-मरोड़ा गया है।
वेंकैया ने कहा कि इस वक्त देश में राष्ट्रीय अहमियत के कई स्मारक हैं। इनके बारे में जागरूकता पैदा करना और स्कूल-कॉलेज के छात्रों को इनके बारे में बताना बेहद जरूरी है। उपराष्ट्रपति ने छात्रों को नजदीकी क्षेत्रों में मौजूद ऐतिहासिक स्मारकों का दौरा कराने और इतिहास जानने पर भी जोर देने के लिए कहा।
उपराष्ट्रपति ने पुणे (Pune) में पुरस्कार समारोह के दौरान कहा कि देश में बार-बार चुनाव होना चिंता का विषय है। डेढ महीने के लिए आदर्श आचार संहिता लागू हो जाती है. हर किसी को पहले से तय फॉर्मूले का पालन करना होता है. इसलिए 15 दिन के भीतर एकसाथ पूरे देश में चुनाव कराना राष्ट्रहित में है।