कर्नाटक हाईकोर्ट (Karnataka High Court ) ने बेलगावी (Belagavi ) में महिला को नग्न कराकर परेड कराए जाने की घटना पर नाराजगी प्रकट की है। अदालत ने सवाल किया कि क्या समाज 17वीं सदी में वापस जा रहा है? अदालत ने महिला आयोग की भूमिका पर भी सवाल खड़े किए हैं।
इंसानियत को शर्मसार करने वाली यह घटना बेलगावी जिले की है। एक गांव में महिला को नग्न घुमाए जाने की घटना को ‘असाधारण’ बताते हुए हाईकोर्ट ने कहा, कानून इस मामले में कोई नरमी नहीं दिखाएगा।
गौरतलब है कि बीते 12 दिसंबर को कर्नाटक हाईकोर्ट ने समाचार के आधार पर घटना का स्वत: संज्ञान लिया है। गुरुवार को सुनवाई के दौरान अदालत ने कहा, एक खतरनाक मिसाल कायम की जा रही है कि कानून का कोई डर नहीं है। कोर्ट ने कहा, ऐसी घटनाओं से खतरनाक संदेश भेजा जा रहा है कि कानून का कोई डर बाकी नहीं है। अगर प्रगतिशील राज्य कर्नाटक में आजादी के बाद ऐसी घटनाएं होती हैं तो यह बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है। अपराधियों के मन में कानून का कोई डर नहीं होना बहुत परेशान करने वाला है।
हाईकोर्ट ( High Court ) घटना से कितनी नाराज है, इसका अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि बेलगावी के पुलिस आयुक्त को पेश होने का निर्देश दिया गया है। अदालत ने अपने फरमान में कहा, कमिश्नर के साथ सहायक पुलिस आयुक्त (एसीपी) 18 दिसंबर को व्यक्तिगत रूप से अदालत में मौजूद रहें। हाईकोर्ट ने पुलिस से पूरे मामले पर अतिरिक्त रिपोर्ट दाखिल करने को भी कहा। अदालत ने यह भी निर्देश दिया है कि हमलावरों को तुरंत गिरफ्तार किया जाए।