Sunday, May 19, 2024

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Gujarat : पूर्व आईपीएस संजीव भट्ट को गुजरात हाईकोर्ट से झटका, हिरासत में मौत मामले में दोषसिद्धि के खिलाफ याचिका खारिज

 Sanjiv Bhatt

भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) के पूर्व अधिकारी संजीव भट्ट ( Sanjiv Bhatt)को गुजरात उच्च न्यायालय (  )से झटका मिला है। दरअसल, उन्होंने 1990 के हिरासत में मौत के मामले में अपनी दोषसिद्धि के खिलाफ याचिका दायर की थी। इसमें उन्हें आजीवन कारावास की सजा सुनाई गई थी। अदालत ने मंगलवार को उनकी अपील को खारिज कर दिया।

न्यायमूर्ति आशुतोष शास्त्री और न्यायमूर्ति संदीप भट्ट की खंडपीठ ने संजीव भट्ट ( Sanjiv Bhatt)और सह आरोपी प्रवीण सिंह जाला की भारतीय दंड संहिता (आईपीसी) की धारा 302 (हत्या), 323 (जानबूझकर चोट पहुंचाना) और 506 (आपराधिक धमकी) के तहत दोषसिद्धि को बरकरार रखा।

अदालत ने राज्य सरकार द्वारा दायर एक अपील को भी खारिज कर दिया। जिसमें पांच अन्य आरोपियों की सजा बढ़ाने की मांग की गई थी। इन आरोपियों को हत्या के आरोप से बरी कर दिया गया था, लेकिन धारा 323 और 506 के तहत दोषी ठहराया गया था। भट्ट और जाला जेल में बंद हैं।

खंडपीठ ने आदेश पढ़ते हुए कहा, ‘हमने आईपीसी की धारा 302 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए संबंधित आरोपियों को दोषी ठहराते समय निचली अदालत द्वारा दर्ज किए गए तर्कों का भी अध्ययन किया है।’ न्यायाधीशों ने कहा, ‘रिकॉर्ड पर आधारित साक्ष्यों के आधार पर हमारी राय है कि निचली अदालत ने धारा 323 के तहत दंडनीय अपराधों के लिए (पांच) आरोपियों को सही तरीके से दोषी ठहराया है।

जामनगर की सत्र अदालत ने 20 जून, 2019 को संजीव भट्ट ( Sanjiv Bhatt)और एक अन्य पुलिस अधिकारी प्रवीण सिंह जाला को हत्या का दोषी ठहराया था। अयोध्या में राम मंदिर निर्माण के लिए भाजपा नेता लालकृष्ण आडवाणी की ‘रथ यात्रा’ रोके जाने के खिलाफ ‘बंद’ के आह्वान के बाद 30 अक्तूबर, 1990 को तत्कालीन अतिरिक्त पुलिस अधीक्षक संजीव भट्ट ने जामजोधपुर शहर में सांप्रदायिक दंगे के बाद करीब 150 लोगों को हिरासत में लिया था।

हिरासत में लिए गए लोगों में से एक प्रभुदास वैष्णानी की रिहाई के बाद अस्पताल में मौत हो गई। वैष्णानी के भाई ने संजीव भट्ट( Sanjiv Bhatt) और छह अन्य पुलिस अधिकारियों पर हिरासत में उन्हें प्रताड़ित करने और उनकी मौत का कारण बनने का आरोप लगाया।

भट्ट को 5 सितंबर, 2018 को एक अन्य मामले में गिरफ्तार किया गया था, जहां उन पर मादक पदार्थ रखने के लिए एक व्यक्ति को झूठा फंसाने का आरोप है। मामले की सुनवाई चल रही है। वह सामाजिक कार्यकर्ता तीस्ता सीतलवाड़ और गुजरात के पूर्व पुलिस महानिदेशक आर बी श्रीकुमार के साथ 2002 के गुजरात दंगों के मामलों के संबंध में कथित तौर पर सबूत गढ़ने के मामले में भी आरोपी हैं।

इससे पहले संजीव भट्ट ( Sanjiv Bhatt)उस समय सुर्खियों में आए थे, जब उन्होंने 2002 के गुजरात दंगों में तत्कालीन मुख्यमंत्री नरेंद्र मोदी की भूमिका का आरोप लगाते हुए उच्चतम न्यायालय में एक हलफनामा दायर किया था। इन आरोपों को विशेष जांच दल ने खारिज कर दिया था। उन्हें 2011 में सेवा से निलंबित कर दिया गया था और अगस्त 2015 में गृह मंत्रालय ने बर्खास्त कर दिया था।

हिरासत में मौत के मामले में जामनगर की अदालत ने अन्य पांच पुलिसकर्मियों उप निरीक्षक दीपक शाह और शैलेश पंड्या तथा कांस्टेबल प्रवीणसिंह जडेजा, अनूप सिंह जेठवा और केशुभा जडेजा को दो-दो साल कैद की सजा सुनाई। सर्वोच्च न्यायालय ने जून 2019 में संजीव भट्ट( Sanjiv Bhatt) की उस याचिका पर विचार करने से इनकार कर दिया था, जिसमें मामले में 11 अतिरिक्त गवाहों से पूछताछ करने की मांग की गई थी।

Vijay Upadhyay

Vijay Upadhyay is a career journalist with 23 years of experience in various English & Hindi national dailies. He has worked with UNI, DD/AIR & The Pioneer, among other national newspapers. He currently heads the United News Room, a news agency engaged in providing local news content to national newspapers and television news channels